8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

‘मर्दानी’ के वंशज जी रहे गुमनाम जीवन, क्या आप जानते हैं…सॉफ्टवेयर इंजीनियर है उनकी छठी पीढ़ी

रानी लक्ष्मी बाई के बाद उनके दत्तक पुत्र दामोदर राव के साथ ही उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा गुमनामी का जीवन इतिहास छोड़ों किसी किताब के पन्नों पर नजर नहीं आता।

3 min read
Google source verification
jhansi_ki_rani.jpg

भोपाल। 'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।' सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता की यह पंक्ति हर किसी के जेहन में जिंदा रहती है और महारानी लक्ष्मी बाई की गौरव गाथा याद दिलाती है। भारतीय इतिहास का गौरवान्वित कर देने वाला लक्ष्मी बाई के जीवन का यह हिस्सा भले ही लोगों को जोश से भर देता है। लेकिन उनके बाद उनके वंशजों का किस्सा आपको उदास और निराश जरूर कर देगा। महारानी लक्ष्मी बाई के बाद उनके दत्तक पुत्र दामोदर राव के साथ ही उनकी पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहा गुमनामी का जीवन इतिहास छोड़ों किसी किताब के पन्नों पर नजर नहीं आता। अंग्रेजी हुकूमत से लेकर वर्तमान सरकार तक का उदासीन रवैया उनकी पीढिय़ों को संभाल नहीं पाया। आप भी जानें आखिर आज क्या कर रहे हैं 'मर्दानी' के वंशज।

इंदौर में बिताया गुमनाम जीवन
रानी के बेटे दामोदर राव और उनकी अगली 5 पीढिय़ों ने इंदौर में एक गुमनाम जीवन बिताया है। कोई सरकारी या सार्वजनिक सहायता नहीं मिलने की वजह से, रानी के वंशजों की पहली दो पीढिय़ों ने घोर गरीबी और किराए के घर में अपना पूरा जीवन बिता दिया। वहीं उनका पता लगाने के लिए सरकारी स्तर पर भी कोई प्रयास नहीं किए गए।

छठी पीढ़ी के वंशज पहुंचे नागपुर
रानी के वंशज 2021 तक मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में रह रहे थे। लेकिन अब वह नागपुर जा बसे। छठी पीढ़ी के ये वंशज अब एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम कर रहे हैं और एक गुमनाम जीवन जीना पसंद करते हैं। हां यह जरूर है कि आज भी उनके नाम के आगे झांसीवाले लगा है। जो झांसी की रानी से उनके जुड़ाव को दर्शाता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियर योगेश अरुण राव झांसीवाले(44) रानी लक्ष्मीबाई के परिवार की छठी पीढ़ी के सदस्य हैं। वह वर्तमान में अपनी पत्नी प्रीत और दो बच्चों प्रीयेश और धनिका के साथ नागपुर में रह रहे हैं।

दामोदर राव के बेटे को मिलती थी पेंशन
दामोदर राव के बेटे लक्ष्मण राव झांसीवाले को अंग्रेजों द्वारा प्रति माह 200 रुपए की पेंशन प्रदान की जाती थी। 15 अगस्त 1947 को देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद तत्कालीन सरकार ने लक्ष्मण राव को रेजीडेंसी क्षेत्र में घर खाली करने के लिए बोला था। रानी लक्ष्मीबाई के वंशजों के पास इंदौर के रजवाड़ा के पीरगली इलाके में किराए के मकान में शिफ्ट होने के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। इस बारे में भी बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि झांसी की रानी के पोते जिला अदालत में एक स्वतंत्र टाइपिस्ट के रूप में कार्य कर चुके हैं। गरीबी की वजह से परिवार हमेशा खाली पेट सोता था। 1959 में बेटे कृष्णा राव झांसीवाले और बेटी चंद्रकांता बाई को छोड़कर अत्यधिक गरीबी में वह इस दुनिया को अलविदा कह गए।

सरकारों ने बंद की पेंशन
रानी लक्ष्मी बाई के परपोते कृष्णा राव इंदौर के हुकुमचंद मिल में स्टेनो-टाइपिस्ट के रूप में कार्य करते थे। उन्हें केंद्र और यूपी सरकार की ओर से हर माह 100 रुपए पेंशन दी जाती थी। अपना पूरा जीवन उसी किराए के घर में बिताने के बाद 1967 में कृष्णा राव का देहांत हो गया। उनके निधन के बाद केंद्र और यूपी सरकार ने रानी के वंशजों की पेंशन बंद कर दी। उनके बेटे अरुण राव झांसीवाले एक इंजीनियर थे और एमपीईबी में शामिल हुए थे। वर्ष 1994 में उन्होंने इंदौर के धनवंतरी नगर में एक घर खरीद लिया। दरअसल, रानी के बेटे दामोदर राव के साथ झांसी छोडऩे के बाद, परिवार को एक घर के लिए 5 पीढिय़ों तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। अरुण राव झांसीवाला अपने बेटे योगेश राव झांसीवाला के साथ अपनी बहू प्रीत और अपने दो बच्चों प्रीयेश और धनिका राव झांसीवाला के साथ रहते हंै।

यह भी जानेें
* रानी के एक सौतेला भाई चिंतामनराव तांबे भी था। तांबे परिवार इस समय पूना में रहता है। झाँसी के रानी के वंशज इंदौर के अलावा देश के कुछ अन्य भागों में रहते हैं। वे अपने नाम के साथ झाँसीवाले लिखा करते हैं।
* जब दामोदर राव नेवालकर 5 मई 1860 को इंदौर पहुँचे थे तब इंदौर में रहने वाली उनकी चाची (दामोदर राव की असली माँ) ने बड़े होने पर दामोदर राव का विवाह करवा दिया। लेकिन कुछ ही समय बाद दामोदर राव की पहली पत्नी का निधन हो गया।
* दामोदर की दूसरी शादी से लक्ष्मण राव का जन्म हुआ।
* दामोदर राव का उदासीन तथा कठिनाई भरा जीवन 28 मई 1906 को इंदौर में समाप्त हो गया।
* अगली पीढ़ी में लक्ष्मण राव के बेटे कृष्ण राव और चंद्रकांत राव हुए।
* कृष्ण राव के दो पुत्र मनोहर राव, अरुण राव हुए। * चंद्रकांत के तीन पुत्र अक्षय चंद्रकांत राव, अतुल चंद्रकांत राव और शांति प्रमोद चंद्रकांत राव हुए।
* दामोदर राव चित्रकार थे उन्होंने अपनी माँ की याद में उनके कई चित्र बनाए हैं जो, झाँसी परिवार की अमूल्य धरोहर हैं।