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Interesting News: तलाक में लग गए 38 साल, बच्चों की शादी और रिटायरमेंट के बाद अब मंजूर हुई याचिका

इस सफर के बीच इंजीनियर ने दूसरी शादी कर ली। उसके दो बच्चे हो गए और उनकी शादी भी हो गई। और जब वो रिटायर हुआ तब जाकर उसे कोर्ट से तलाक की मंजूरी मिली...

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ग्वालियर में PHE के इंजीनियर को अपनी पत्नी से तलाक लेने में 38 साल तक इंतजार करना पड़ा। मामला भोपाल कोर्ट से शुरू हुआ फिर विदिशा की फैमिली कोर्ट पहुंचा। यहां से फिर ग्वालियर फैमिली कोर्ट में ट्रांसफर हुआ, लेकिन कोर्ट बदलते-बदलते ये हाईकोर्ट तक पहुंच गया और वहां से भी खारिज। लेकिन पति ने फिर भी उम्मीद नहीं छोड़ी एक बार फिर से कोर्ट में तलाक की याचिका लगाई और फिर तलाक का यह मामला इस कोर्ट से उस कोर्ट तक झूलता ही रहा। इस सफर के बीच इंजीनियर ने दूसरी शादी कर ली। उसके दो बच्चे हो गए और उनकी शादी भी हो गई। और जब वो रिटायर हुआ तब जाकर उसे कोर्ट से तलाक की मंजूरी मिली। लेकिन अब भी मामले की सुनवाई फरवरी 2024 में होना है। है न बिल्कुल फिल्मी स्टोरी का सा मामला। 38 साल बाद ही सही आखिरकार इंजीनियर को एकमुश्त 12 लाख रुपए अपनी पत्नी को देने के साथ ही विधिवत तलाक की अनुमति दोनों पक्षों की सहमति से मिल ही गई।

यहां पढ़ें पूरा मामला

भोपाल के रहने वाले एक इंजीनियर की शादी ग्वालियर की रहने वाली युवती से 1981 में हुई थी। 4 साल तक पत्नी को बच्चा नहीं होने पर जुलाई 1985 में पति ने भोपाल में तलाक के लिए आवेदन पेश किया था लेकिन, उसका दावा खारिज कर दिया गया था। इस बीच पति-पत्नी दोनों अलग-अलग रह रहे थे। इसके बाद पति ने विदिशा न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन दिया। इसके उलट दिसंबर 1989 में पत्नी ने संबंधों की पुनस्र्थापना के लिए कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में आवेदन पेश किया। कोर्ट ने इस मामले में एकपक्षीय कार्रवाई करते हुए पति को तलाक लेने का अधिकारी माना और उस के पक्ष में फैसला दिया। वहीं, मार्च 1990 में इंजीनियर पति ने दूसरी शादी कर ली लेकिन पहली पत्नी ने तलाक के आदेश के खिलाफ अपील की जो कोर्ट में स्वीकार की गई। अप्रैल 2002 में पति का विदिशा में लंबित तलाक का केस कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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इसके बाद 2006 में पति ने हाई कोर्ट में अपील की लेकिन कोर्ट ने अपील खारिज कर दी। इसके खिलाफ पति ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। पति की एसएलपी भी सुप्रीम कोर्ट से 2008 में खारिज कर दी गई। पति ने एक बार फिर लगाई याचिका पति ने एक बार फिर से तलाक के लिए 2008 में आवेदन दिया। जुलाई 2015 में विदिशा कोर्ट ने पति का आवेदन खारिज कर दिया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में अपील दायर की। इस दौरान दूसरी पत्नी से इंजीनियर के दो बच्चों की शादी भी हो गई। अब इंजीनियर रिटायर्ड भी हो चुका है। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार अब पति-पत्नी सहमति से तलाक के लिए राजी हो गए हैं। अब इस मामले की सुनवाई फरवरी 2024 में होगी।

फिलहाल कोर्ट के ये आदेश

हाईकोर्ट ने पति को निर्देश दिए हैं कि वह पत्नी को एकमुश्त 12 लाख रुपए चुकाएगा। इंजीनियर की पहली पत्नी के पिता पुलिस में अधिकारी थे, उनकी सोच थी कि बेटी का परिवार किसी तरह पुनस्र्थापित हो जाए लेकिन अब बढ़ती उम्र और महिला के भाइयों की समझाइश के बाद पति-पत्नी सहमति से तलाक लेने के लिए राजी हो गए हैं।

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