सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि बच्चों के पास लोहा काटने की सामग्री पहुंची कैसे? महिला बाल विकास और डीपीओ ब्रजेश त्रिपाठी का कहना है कि खिडक़ी काटने की सामग्री कैसे पहुंची इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है, लेकिन बच्चों से उनके अभिभावक मिलने आते हैं। जांच का विषय है कि उनके पास सामग्री कैसे पहुंची। उनका कहना है कि व्यवस्था में चूक रही होगी, इसलिए यह घटना हुई हैं।
गौरतलब है कि आठ साल पहले भी यहां से बाल अपचारी भागे थे। इसके बाद भी यहां की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त नहीं की गई है। पुलिस को प्राथमिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार रात 3.30 बजे से 4.30 बजे की घटना है। इस वक्त यहां मौजूद सुरक्षा गार्ड, और महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदार गहरी नींद में सो रहे थे। इनकी नींद खिडक़ी काटने की आवाज से भी नहीं खुली।
जहांगीराबाद पुलिस के अनुसार बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात को बच्चे भागे हैं। इसका खुलासा सुबह बच्चों की गिनती के दौरान हुआ। जहांगीराबाद थाना प्रभारी वीरेंद्र चौहान ने बताया कि भागने वाले बाल अपचारी बच्चे चोरी, मारपीट जैसे आरोपों के कारण यहां रखे गए थे। सभी बच्चों के घरों, रिश्तेदारों के घरों में पुलिस की अलग-अलग टीमें भेजी गई है ताकि इन्हें तलाशा जा सके। लेकिन गुरुवार देर शाम तक इन बाल अपचारियों के बारे में पुलिस को कोई सूचना नहीं मिली। खिडक़ी काटने और भागने की तस्वीरें और फुटेज यहां लगे सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। थाना प्रभारी वीरेंद्र चौहान ने बताया कि तीनों जगह पुलिस तफ्तीश के लिए भेजी गई हैं।
ऐसे बच्चे सामान्यत: अभिभावकों के पास जाते हैं। पुलिस जांच कर रही है। सुरक्षा की दृष्ठि से मौके पर अमला था। खिडक़ी काटने की आवाज पास वाले कमरे तक नहीं पहुंची। बच्चों की तलाश की जा रही है। – डॉ. विशाल नाडकर्णी, संयुक्त संचालक, महिला एवं बाल विकास