गौरतलब है कि मैदानी अधिकारियों द्वारा अस्वीकृत (Dishonour) चेक की डिमांड विद्युत देयक में नहीं की जाती है। अस्वीकृत चेक की राशि उपभोक्ताओं से प्राप्त होने के बाद सीसीएनबी/ आरएमएस के माध्यम से समायोजन किया जाता है। अस्वीकृत चेक बैंक से प्राप्त होने के बाद उनकी वसूली होने तक जहां कंपनी को राजस्व हानि होती है, वहीं उपभोक्ता को कानूनी मामले में फंसने की संभावना रहती है।
कंपनी के प्रबंध संचालक विशेष गढ़पाले ने इस संबंध में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अभी तक प्राप्त सभी चेक बैंक में जमा कर बिल की राशि कंपनी के खाते में तत्काल जमा कराएं। उन्होंने यह भी कहा है कि अस्वीकृत चेक की राशि संबंधित उपभोक्ता के बिजली बिल में जोड़कर वसूली की कार्यवाही सुनिश्चित करें।
प्रबंध संचालक ने कहा कि वितरण केंद्र/ जोन कार्यालय में यदि कोई व्यक्ति चेक के माध्यम से बिजली बिल भुगतान के लिए आता है तो संबंधित वितरण केंद्र/जोन प्रभारी उसे ऑनलाइन भुगतान के लिए प्रोत्साहित करें। ऑनलाइन भुगतान के संबंध में UPAY App, फोन पे, अमेजॉन पे, कॉमन सर्विस सेंटर, कंपनी के पोर्टल portal.mpcz.in और अन्य ऑनलाइन भुगतान के विकल्पों की जानकारी भी दें।