सभी ने संगठनों ने एक स्वर में कहा कि इस निर्णय के विरोध में अगर सडक़ों पर भी उतरना पड़ा तो उतरेंगे। उधर, निजी अस्पतालों में उपचार कराने पहुंचे कर्मचारियों को बिना उपचार के ही लौटना पड़ा। पत्रिका ने बुधवार को ‘कर्मचारियों को स्थानीय स्तर पर नहीं मिलेगा उपचार’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर निगम के इस निर्णय से अवगत कराया था।
50 हजार कर्मचारी, सुविधा कुछ नहीं
इएसआइ द्वारा मंडीदीप व सतलापुर निगम में पंजीयत करीब 50 हजार कर्मचारी और उनके परिजनों के उपचार के लिए ओपीडी की सुविधा मुहैया कराई जाती है, लेकिन किसी कर्मचारी को ओपीडी, उसके बाद आपातकालीन उपचार की आवश्यक्ता पड़ जाती है तो उसे निगम के भोपाल स्थित अस्पताल ले जाने के लिए न तो ऐम्बूलेंस की सुविधा मिलती है और न अब शहर में उपचार की कोई अन्य सुविधा। इन परिस्थितियों में तत्काल उपचार की सुविधा नहीं मिलने पर कर्मचारी और उनके परिजनों की जान जोखिम में आ सकती है।
उद्योग संगठन मिलेगा मुख्य सचिव से बीमा निगम के इस फैसले से उद्योग संगठन नाखुश है। एचईजी कंपनी के एचआर हेड संजय सिंह ने बताया कि दोनों उद्योग संगठनों का एक प्रतिनिधि मण्डल गुरुवार को श्रम विभाग के प्रमुख सचिव से मिलकर निर्णय का विरोध करेंगे। साथ ही मंडीदीप में 100 विस्तरों के सर्वसुविधा युक्त अस्पताल के निर्माण की मांग करेंगे।
– मैं अपने पिता को उपचार कराने ईएसआइ के तहत एक निजी अस्पताल लेकर गया था, लेकिन मुझे अस्पताल केे स्टाफ ने यह कहकर लौटा दिया कि अब यहां इएसआइ के तहत ईलाज नहीं होगा।
अनिल गौर, कर्मचारी मंडीदीप
– आचार संहिता के चलते कुछ अस्पतालों को इमरजेंसी में कर्मचारियों का उपचार करने की सुविधा पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही इस संबंध में आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
डॉ विक्रम बाथम, डिप्टी डायरेक्टर इएसआइसी भोपाल
– कर्मचारियों के हित में कामगार शिव सेना गुरुवार को निगम के आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपकर, शहर में सर्वसुविधायुक्त अस्पताल बनने तक निजी अस्पतालों से अनुबंध को समाप्त नहीं करने की मांग करेगी। निगम द्वारा इस पर अमल नहीं करने की स्थिति में सडक़ों पर उतरकर शिव सेना विरोध जताएगी।
सत्य प्रकाश मिश्रा, जिला अध्यक्ष शिवसेना
– बीमा निगम द्वारा औद्योगिक क्षेत्र में निजी अस्पतालों में अनुबंध समाप्त करने के निर्णय का हम विरोध करते हैं और इसके विरोध में हमारा संगठन बीमा निगम के वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर अपनी बात रखेगा। इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं होता है, तो कर्मचारियों के हक में जन आंदोलन चलाया जाएगा।
द्रगचंद प्रजापति, कर्मचारी नेता सीटू