वनविहार प्रबंधन के अनुसार इस तकनीक की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें किसी भी जानवर को पकडऩे के लिए निश्चेतक का उपयोग नही किया जाता साथ ही प्राकृतिक वातावरण निर्मित करते हुए जानवर को पकड़ा जाता है। इससे न तो जानवर में भय पैदा होता है और न ही उसके स्वास्थ्य पर कोई विपरीत असर पड़ता है।
उल्लेखनीय है कि मुकुंदपुर में चिडि़याघर की स्थापना के बाद से वनविहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल से सफेद बाघिन, तेंदुआ, भालू, चीतल व वाइल्ड बोर को भेजा जा चुका है। वन विहार के वन्यप्राणी चिकित्सक अतुल गुप्ता के अनुसार पकड़े गए सभी सांभर और चीतल पूरी तरह स्वस्थ हैं। इधर मुकुंदपुर जू में भी इन वन्य प्राणियों को रखने के लिए पूरी व्यवस्था की जा चुकी है।
वनमंडल से वन विहार पहुंचा तेंदुआ
ओबेदुल्लागंज वनमंडल की बाड़ी परिक्षेत्र से रेस्क्यू कर एक तेंदुआ शुक्रवार को वनविहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया। जानकारी के अनुसार २२ और २३ मार्च की दरम्यानी रात उक्त तेंदुए को बाड़ी क्षेत्र के डगमग गांव के पास से ट्रैप केज में पकड़ा गया। बता दें बाड़ी क्षेत्र में लगातार वन्य प्राणियों द्वारा लोगों पर किए जा रहे हमले के कारण लोगों में दशहत और गुस्सा था। इसी को देखते हुए वन विभाग ने ट्रैप कैमरा लगाया था। फिलहाल तेंदुए को वनविहार में क्वेरेंटाइन में रखा गया है। फिलहाल लगभग ४५ दिन इसकी गतिविधियों और उसके व्यवहार पर निगरानी रखी जाएगी। बता दें वन विहार में लगातार दो दिन में दूसरा तेंदुआ है तो वन विहार लाया गया है।