scriptNavratri 2021 रोज सुबह माता के चरणों में चढ़ा मिलता है फूल, आज भी अनसुलझा है ये रहस्य | Flowers are found at the feet of Sharda Mata Navratri 2021 | Patrika News

Navratri 2021 रोज सुबह माता के चरणों में चढ़ा मिलता है फूल, आज भी अनसुलझा है ये रहस्य

locationभोपालPublished: Oct 07, 2021 10:14:31 am

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deepak deewan

सभी पुजारी पहाड़ी से नीचे उतर आते हैं तब भी मंदिर से घंटी बजने और आरती करने की आवाज आती है- Navratri 2021
 

Flowers are found at the feet of Sharda Mata Navratri 2021

Flowers are found at the feet of Sharda Mata Navratri 2021

भोपाल. गुरुवार को नवरात्रि की शुरुआत होने के साथ ही माता की भक्ति भी प्रारंभ हो गई है। मंदिरों में माता के दर्शन और पूजन के लिए भक्त उमड़ने लगे हैं. नवरात्र 2021 के मौके पर patrika.com आप को बता रहा है मध्यप्रदेश के प्रमुख देवी मंदिरों के बारे में…।मैहर के शारदा माता मंदिर में हजारों भक्त दर्शन के लिए पहुंचे हैं। यहां सुबह पट खुलते ही भक्त दर्शन के लिए उमड़ पड़े। भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 3:45 बजे ही मंदिर के पट खोल दिए गए। कई श्रद्धालु तो कई किमी की पदयात्रा करते हुए यहां आए हैं.
शारदा माता का मंदिर कई मायनों में अनूठा है. इस विख्यात मंदिर से कई मान्यताएं जुड़ी हैं. मैहर में स्थित त्रिकूट पर्वत की चोटी पर यह मंदिर बना है. खास बात यह है कि शाम को जब मंदिर के कपाट बंद करके सभी पुजारी पहाड़ी से नीचे उतर आते हैं तब भी मंदिर से घंटी बजने और आरती करने की आवाज आती है। माना जाता है कि माता के परम भक्त आल्हा यहां आज भी रोज ये आरती करते हैं।
इतना ही नहीं, आल्हा रोज माता का श्रृंगार भी करते हैं। सुबह जब पुजारी आकर मंदिर के पट खोलते हैं तो उन्हें माता के चरणों में फूल चढ़े हुए मिलते हैं। स्थानीय पंडित देवी प्रसाद बताते हैं कि अनोखी घटना आज तक रहस्य बनी हुई है। इसके बारे में पता लगाने के लिए कई बार वैज्ञानिकों ने भी प्रयास किया लेकिन कोई राज सामने नहीं आ सका. शारदा देवी मंदिर की पहाड़ी के समीप बना तालाब भी एक रहस्य है।
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इस तालाब को देव तालाब की तरह माना व पूजा जाता है। मान्यता है कि तालाब में खिले कमल पुष्प को उनके अमर भक्त आल्हा माता पर चढ़ाते हैं। जनश्रुति के मुताबिक इस तालाब में खिलनेवाला कमल का फूल सुबह देवी के चरणों में चढ़ा हुआ मिलता है। शारदा माता का यह मंदिर 522 ईसा पूर्व का है। मान्यता यह भी है कि यहां मां शारदा की पहली पूजा आदिगुरू शंकराचार्य ने की थी।

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मंदिर में स्थापित मां शारदा की प्रतिमा के नीचे पुराने शिलालेख हैं पर इन्हें पढ़ा नहीं जा सका है. नामी इतिहासकार कनिंघम ने इस मंदिर पर शोध किया था. मंदिर की पहाड़ी के पीछे आल्हा-उदल के अखाड़े हैं, जहां उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित है। अपनी किंवदंतियों के लिए मशहूर शारदा माता का यह मंदिर बहुत सिद्ध स्थान माना जाता है. यही कारण है कि सालभर लाखों भक्त यहां अपनी मन्नत पूरी करने की प्रार्थना लिए आते हैं.

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