
(फोटो सोर्स: पत्रिका)
MP News: खाद्य एवं औषधी प्रशासन को एमपी के भोपाल शहर में एनालॉग पनीर अधिक मात्रा में विक्रय होने की आशंका है। यही वजह है कि विभाग ने इसे लेकर अभियान शुरू कर दिया है। रोजाना दस से 12 जगह के नमूने लिए जा रहे हैं। करीब एक सप्ताह से ये काम चल रहा है। आठ से दस दिन में जब रिपोर्ट आएगी तो हकीकत पता चलेगी। खाद्य सुरक्षा अधिकारी पंकज श्रीवास्तव का कहना है कि ज्यादातर पनीर अखरोट का उपयोग कर बनाए जाते हैं, जबकि कुछ में वनस्पति घी- पाम आयल डाला जाता है।
प्राथमिक तौर पर टिंचर आयोडीन की बूंदों से असली-नकली का पता करते हैं। इससे रंग नीला हो जाए तो फिर समझो ये एनालॉग वाला है। अतिरिक्त फैट के लिए तो लैब में जांच कराना होगी। इस समय 600 से अधिक छोटी-बड़ी दुकानों से 35 क्विंटल से अधिक पनीर विक्रय हो जाता है। इसमें 40 फीसदी होटल्स, जबकि बाकी घरों में जाता है। पांच किलोग्राम दूध से एक किलोग्राम पनीर निकलता है।
एनालॉग पनीर बनाने के लिए मुख्य रूप से वनस्पति तेल, दूध पाउडर, स्टार्च, सोया, नारियल तेल, जड़ वाली सब्जियां, टैपिओका, खमीर और एसिड जैसे गाढ़े पदार्थों का उपयोग किया जाता है। इसे बनाने में डेयरी उत्पादों का इस्तेमाल नहीं किया जाता या बहुत कम मात्रा में किया जाता है।
फिजिशियल डॉ. धीरज शुक्ला के अनुसार एनालॉग पनीर व इसी तरह की खाद्य वस्तुओं में ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट की मात्रा अधिक होती है, जो खराब कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाकर हृदय संबंधी समस्याएं बनाती है।
असली पनीर मुलायम और स्पंजी होता है। एनालॉग पनीर अक्सर सख्त, रबर जैसा या बहुत जल्दी टूटने वाला होता है। आयोडीन के टच में लाने से इसका रंग नीला हो जाए, तो इसका मतलब है कि इसमें स्टार्च मिला हुआ है। यह एनालॉग पनीर है।
Published on:
10 Jul 2025 11:26 am
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