रवींद्र भवन में 'नामयाची जनी' कार्यक्रम का आयोजन
भोपाल। ध्रुपद संस्था की ओर से गुरुवार को रवींद्र भवन में ‘नामयाची जनी’ का आयोजन किया गया। देश में पहली बार अभंग को ध्रुपद के साथ पिरोकर उसे भरतनाट्यम के साथ प्रस्तुत किया गया। इसे जान्हवी फणसलकर ने संगीतबद्ध किया है। उन्होंने धानी गुंदेचा के साथ अभंग गायन किया। जान्हवी ने बताया कि मराठी संतों की वाणी अभंग मेरे दिल के हमेशा करीब रहे हैं। इसे गाना पसंद है। मैंने ध्रुपद की शिक्षा भी ली है। मैंने सोचा क्यों न अभंगों को ध्रुपद में पिरोया। मैं आगे भी ऐसे प्रयोग करती रहूंगी।
संत जनाबाई के जीवन और चरित्र को पिरोया
जान्हवी ने बताया कि इसे तैयार करने में तीन वर्ष लगे। इसके दो शो बेंगलुरु में हो चुके हैं। भरतनाट्यम के साथ अभंगों को पहली बार पेश किया जा रहा है। प्रस्तुति को तैयार करने में एक साल का समय लगा। वारकरी परंपरा में अभंग गायन का अपना अलग महत्व है। 1.15 घंटे की इस प्रस्तुति में मैंने संत जनाबाई के जीवन और चरित्र को पिरोया है। प्रस्तुति में राग देस, बसंत बहार, जय जयवंती, खमाज, यमन तथा ललिता गौरी आदि रागों में निबद्ध अभंग आदिताल, मत्तताल, सुलताल, चौताल में गाए गए। बेंगलुरु की नृत्यांगना नव्या नटराजन ने भरतनाट्यम के माध्यम से भाव प्रदर्शन किए। वहीं, पखावज पर ज्ञानेश्वर देशमुख, ह्रदयेश चोपड़ा तथा मंजीरे पर अनूप सिंह बोरालिया ने संगत दी। कमल जैन ने प्रकाश संयोजन किया।