36 लाख रुपए अपने खातों में ट्रांसफर कर लिए थे दोनों ने
थाना प्रभारी उमेश यादव ने बताया कि दिल्ली की संस्था प्लान इंडिया एचआइवी पीडि़त, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के वेलफेयर के लिए काम करती है। संस्था को यूनिसेफ से फंड मिलता है। भोपाल में संस्था के प्रतिनिधि कैलाश विहार कॉलोनी एक्सटेंशन नई दिल्ली निवासी अनूप अरोरा ने शिकायत की थी कि संस्था ने 2015 में भोपाल की सोसायटी मध्यप्रदेश नेटवर्क फॉर पीपुल लिविंग विद एचआइवी को प्रोजेक्ट दिया था।
सोसायटी में राजपाल शेखावत अध्यक्ष, मनोज वर्मा सचिव के अलावा धर्मेंद्र जैन, प्यार सिंह, नीतू, किशोर राठौर और रेखा तेली सदस्य थे। संस्था से सोसायटी को वेलफेयर के लिए 7.50 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए थे। संस्था ने दिसंबर 2017 में सोसायटी को पत्र लिखकर अवगत कराया कि वह उनके साथ प्रोजेक्ट बंद कर रही है। इस समय सोसायटी के खाते में 36.49 लाख रुपए थे।
पत्राचार के बाद अध्यक्ष राजपाल और सचिव मनोज ने ये राशि अपने-अपने खाते में ट्रांसफर कर ली। काफी प्रयास के बाद वे रकम वापस नहीं कर रहे थे। शिकायत और न्यायालय के आदेश के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी की कई धाराओं के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है।
पार्टनर बनाने का झांसा देकर बिल्डर ने ठगे 25 लाख रुपए
प्रॉपर्टी में पार्टनर बनाने का झांसा देकर बिल्डर ने प्रॉपर्टी डीलर से 25 लाख रुपए ठग लिए। पुलिस के मुताबिक मो. इरफान अली और मो. नासिर अली का आमिरगंज में अर्थ बिल्डर के नाम से ऑफिस है। नियामतपुरा निवासी सैयद जावेद अली के मुताबिक 22 मार्च 2014 को इरफान और नासिर ने तीन एकड़ जमीन दिखाई और हिस्सेदारी का झांसा देकर 25 लाख रु. लिए। इसके बाद उन्हें न तो मुनाफा मिला और न ही रकम वापस मिली। जब जावेद ने रकम मांगी तो वे टालमटोल करने लगे।
इधर, सस्ते में पॉली हाउस लगाने का झांसा देकर पांच किसानों से 7 लाख रुपए ठगे
भोपाल में पॉली हाउस लगाने के नाम पर दो जालसाजों ने पांच किसानों से सात लाख रुपए ठग लिए। आरोपियों ने किसानों को झांसा देने के लिए गांव में सर्वे भी किया था। निशातपुरा पुलिस दो आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच कर रही है।
पुलिस के मुताबिक, तिंदोनिया, नरसिंहगढ़ निवासी अरुण पटेल किसान है। वह दिसंबर 2017 में गोविंदपुरा स्थित पॉली हाउस कंपनी के दफ्तर आए थे। बाहर उन्हें देवेंद्र दोडके मिला। उसने खुद को पॉली हाउस कंपनी में कार्यरत बताते हुए कहा कि कंपनी सस्ते में पॉली हाउस लगाती है। उसने पांच किसानों का एक ग्रुप बनाना जरूरी बताया।
गांव में कराया सर्वे
देवेन्द्र ने किसानों को बताया कि पॉली हाउस लगाने में प्रति किसान तीन लाख का खर्च आएगा। इसके लिए अरुण ने चार अन्य किसानों को जोड़ लिया। इसके बाद देवेंद्र उनके गांव सर्वे करने पहुंचा। अरुण से तीन लाख रुपए लेने के बाद भी पॉली हाउस का काम शुरू नहीं किया।
इसी बीच अरुण दफ्तर पहुंचे तो पता लगा कि देवेंद्र नाम का कोई कर्मचारी नहीं है। बताया जा रहा है कि देवेंद्र ने ठगी की रकम से कार खरीदी है।नवंबर 2018 में अरुण समेत पांच किसानों ने मामले की शिकायत की। अरुण का कहना कि देवेन्द्र के साथ उसका साथी सतेन्द्र जोशी भी था।