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ajadi : देश का बंटवार हुआ तो गांधी जी बोले- मेरी छाती के दो तुकड़े हो गए

locationभोपालPublished: Aug 08, 2022 11:14:02 pm

Submitted by:

brajesh tiwari

नायक : कानून के जानकार 82 साल के केके सिलाकारी ने बातई आजादी की कहानी

ajadi : देश का बंटवार हुआ तो गांधी जी बोले- मेरी छाती के दो तुकड़े हो गए

Gandhiji said – my chest has been broken into two pieces.

सागर । मेरे पिताजी राधेलाल सिलाकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, बचपन में मैंने उनके साथ मीटिंग और सभाओं में जाना शुरू किया। उस समय अधिकतर सभाएं सागर के चकरा घाट पर होती थी। अपने निज सचिव महादेव भट्ट के आग्रह पर 1935 में गांधीजी सागर आए थे, तब मैं 7 साल का था। गांधीजी दिव्य मूर्ति थे, उनमें एक अद्भुत तेज था। यह कहना है 82 बसंत पार कर चुके केके सिलाकारी का। कानून के जानकार और समाजसेवा में लगे केके सिलाकारी ने देश को आदज होते, उसे बनते और विकसित होते देखा है। उस समय की यादें आज भी जाता हैं। सिलाकारी बताते हैं कि गांधीजी से प्रेरित होकर बहुत से युवा स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए। गांधीजी भले ही विश्व के सबसे ताकतवर साम्रज्य से लोहा ले रहे थे, लेकिन वह अंदर से बहुत ही सरल व्यक्तित्व के व्यक्ति के धनी थे। उनकी सहजता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह किसी भी अपरिचित व्यक्ति से मजाक कर लेते थे। सागर दौरे के समय एक दिन दीवार पर छिपकली कीड़े को खा रही थी, तभी उपस्थित लोगों ने कहा बापू यह तो हिंसा है, गांधीजी ने हस्ते हुए कहा हां, पर यह उसका भोजन है। 1947 की आजादी से पहले ही अंग्रेजों ने बंटवारे की पटकथा लिख दी थी। 4 जुलाई 1947 को हाउस ऑफ कॉमन एंड हाउस ऑफ लार्ड ने भारत-पाक का बंटवारा कर दिया। देश के बंटवारे में गांधीजी की गलती नहीं थी। गांधीजी ने कहा था देश का बंटवारा नहीं यह मेरी छाती के दो टुकड़े हुए हैं, इससे मैं सहमत नहीं हूं। लेकिन जिन्ना के मन में पाप था, उन्होंने देश के टुकड़े करा दिए।
मौलवी बोले पाक जाना भूल थी

पिता जी के मित्र मौलवी चिराग उद्दीन सागर में कांग्रेस के पे्रसिडेंट थे। भारत-पाक बंटवारे के समय वह पाकिस्तान चले गए। उन्हें सभी ने खूब मनाया, पर वे नहीं माने। पाक में उन्होंने बहुत यातनाएं झेलीं। 1952 के बाद उन्हें भारत आने का बीजा मिला, वह अपने मित्रों और रिश्तेदारों सेे मिलने सागर आए। वह खूब फूट-फूट कर रोए और बोले पाक जाना जीवन की सबसे बड़ी भूल थी।
समान नागरिकता लागू हो :

कानून के जानकार केके सिलाकारी जाति आधारित राजनिति से दुखी हैं। वह कहते हैं गांधीजी ने सामाजिक समरसता पर बहुत काम किया था, वह सामाजिक भेदभाव और छुआछूत मिटाना चाहते थे, लेकिन आप जिस तरह से जातिवाद की राजनीति पनप रही है वह देश के लिए सुखद नहीं है। देश में एक समान नागरिकता कानून लागू होना चाहिए। देश में जनसंख्या नियंत्रण पर लगाम लगाने की जरूरत है। सभी धर्मों और जाति के लोगों के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून एक जैसा होना चाहिए।
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