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ग्लैंडर्स रोग का नहीं मिल रहा सटीक इलाज, लोगों के पास केवल एक ही विकल्प

ग्वालियर-राजगढ़ में मिल चुके हैं केस, राजस्थान-उप्र-गुजरात में पाए गए इसके रोगी...

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भोपाल। उत्तरप्रदेश के बाद अब मध्यप्रदेश में ग्लैंडर्स रोग के खतरे ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। ग्वालियर व राजगढ़ के घोड़ों में ग्लैंडर्स सामने आने पर इन दोनों जगह हाई अलर्ट कर दिया गया है। ग्वालियर में जहां पांच घोड़ों में यह रोग पॉजिटिव मिला है।

वहीं, राजगढ़ के कुरावर में भी इसके मामले सामने आने पर घोड़ों पर पाबंदी लगा दी गई है। इसकी वजह ग्लैंडर्स के संक्रामक रोग होने के कारण दूसरे पशुओं व मनुष्यों में भी फैलने का खतरा है।


राज्य सरकार ने इस कारण ग्लैंडर्स रोग को लेकर राजस्थान व उत्तरप्रदेश से सटे जिलों में भी अलर्ट किया है। यह रोग राजस्थान के कई जिलों में सामने आ चुका है। वहां २७ से ज्यादा घोड़ों को इस कारण मारना पड़ा था।

नवंबर-2016 में धौलपुर से फैला यह रोग राजस्थान के अलावा मध्यप्रदेश के कई हिस्सों में होने की आशंका बन गई है, इसलिए सरकार ने अश्व-प्रजाति को लेकर अलर्ट जारी किया है। प्रदेश में 18803 रजिस्टर्ड घोड़े हैं, जबकि छह हजार 989 खच्चर और 14916 गधे रजिस्टर्ड हैं। इन सभी को लेकर विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए गए हैं।

क्या है ग्लैंडर्स रोग


घोड़े व खच्चर-गधे के अलावा अन्य पालतू पशु यानी कुत्ता, बिल्ली, भेड़, बकरी भी इसकी चपेट में आ सकते हैं। बरखोडेरिया मैलियाई नामक जीवाणु से होने वाली इस बीमारी में पहले पशु को तेज बुखार आता है। खाल में गांठे गले के अंदर छाले पड़ जाते हैं जो बाद में फट जाते हैं। इनसे पीले रंग का मवाद आने लगता है। पशु का खांसी आने लगती है। इस बीमारी की वजह से पूरे शरीर में गांठें होने लगती हैं।नाक और मुंह से लगातार पानी बहता रहता है और धीरे-धीरे ये गांठें जानलेवा बन जाती हैं। यह रोग होने पर घोड़ों को जहर देकर मारने का ही विकल्प बचता है।

पहला केस कब आया?


यह रोग सबसे पहले अमरीका में सन 2000 में उभरा था। देश में यह 2006 में भी दिखा, लेकिन इसे फैलने से रोक दिया गया। अब यह फिर दिखना शुरू हुआ है। अभी तक यूपी, गुजरात, श्रीनगर, हिमाचल, हरियाणा और मध्यप्रदेश में यह रोग दिखा है। देश में अब तक ३६६ घोड़ों में इस रोग की पुष्टि हुई है। इसमें मध्यप्रदेश के ग्वालियर के पांच घोड़े भी शामिल हैं।