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गौशालाओं के लिए जमीन देने की नीति का मसौदा तैयार

एक हजार गाय पालने के लिए 25 एकड़ जमीन देगी सरकार, डेढ़ साल में गौशाला पूरी नहीं हुई तो राजसात होगी संपत्ति      

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भोपाल

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Arun Tiwari

Dec 12, 2019

गौशालाओं के लिए जमीन देने की नीति का मसौदा तैयार

गौशालाओं के लिए जमीन देने की नीति का मसौदा तैयार

भोपाल : गौशाला के लिए जमीन देने की नीति का मसौदा सरकार ने तैयार कर लिया है। इस नीति के ड्राफ्ट के हिसाब से सरकार बड़ी गौशाला खोलने के लिए 10 हेक्टेयर यानी 25 एकड़ जमीन दे सकती है। इस गौशाला में कम से कम एक हजार गाय को पालना अनिवार्य होगा। नीति के मुताबिक गौशाला बनाने वाली संस्था ने निश्चित समय में यदि अपने प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया तो सरकार उनकी संपत्ति राजसात कर लेगी।

गौशाला के लिए जमीन देने की ये नीति पहले पशुपालन विभाग बनाना चाहता था लेकिन वित्त विभाग ने ये काम राजस्व विभाग को सौंप दिया। इस पॉलिसी को राजस्व विभाग ने पशुपालन विभाग के सुझाव के आधार पर तय किया है। इस पॉलिसी को मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंजूरी के बाद कैबिनेट में पेश किया जाएगा।

ये है सरकार की पॉलिसी का ड्राफ्ट :

निजी संस्थाओं या प्रायवेट कंपनियों को गौशाला खोलने के लिए सरकार निशुल्क जमीन देगी। ये जमीन लीज पर नहीं बल्कि यूजर राइट यानी उपयोग के अधिकार पर दी जाएगी। इस जमीन पर निजी कंपनी अपना मालिकाना हक नहीं जता सकती बल्कि जब तक वो गौ सेवा करेगी तब तक उस भूमि का उपयोग कर सकेगी। 100 गायों की गौशाला खोलने के लिए एक हेक्टेयर जमीन और 1000 गायों को पालने के लिए बड़ी गौशाला के लिए 10 हेक्टेयर सरकारी जमीन दी जाएगी।

जमीन मिलने के साथ ही नौ महीने में संस्था को अपना 40 फीसदी काम पूरा करना होगा। इसकी निगरानी गौ संवद्र्धन बोर्ड करेगा। अगले 18 महीने यानी डेढ़ साल में संस्था को अपने प्रस्ताव के अनुसार गौशाला बनाकर निर्धारित संख्या के हिसाब से गायों को रखना जरुरी हो जाएगा। यदि तय समय में निजी कंपनी या संस्था गौशाला शुरु नहीं कर पाई तो सरकार अपनी जमीन वापस ले लेगी और उसकी अचल संपित्त को राजसात कर लेगी।

सरकार देगी बेसहारा गाय :

निजी कंपनियों की गौशालाओं को बेसहारा गाय सरकार इक_ा कर देगी। गौशाला संचालक की निराश्रित गायों को पकडऩे की जिम्मेदारी नहीं होगी। नई नीति में निवेशक को ये सुविधा दी गई है कि वो बीस फीसदी दुधारु गाय खरीदकर गौशाला में रख सकता है ताकि उनसे वो कमाई भी कर सके। इसके अलावा निवेशक गौ उत्पाद,गौमूत्र,खाद,सीएनजी गैस जैसे व्यवसाय से आय अर्जित कर सकता है। लेकिन नीति में ये शर्त है कि वो कृषि और पशुपालन से संबंधित ही व्यवसाय कर सकेगा,इसके अलावा अन्य उस जगह से अन्य व्यवसाय की अनुमति नहीं होगी।

निवेशकों के लिए गौशाला बनाने का रास्ता साफ :

इस पॉलिसी के बाद बिड़ला के सीएसआर फंड से सौ गौशाला बनाने का रास्ता साफ हो गया है। इसके अलावा अन्य निजी कंपनियों ने भी गौशाला के जरिए सीएनजी बनाने के लिए भी निवेश करने की इच्छा जताई है। वे भी जल्द ही अपना काम शुरु कर सकती हैं। नीति न होने के कारण अब तक उनको जमीन नहीं दी गई थी जिससे वे गौशाला का काम शुरु नहीं कर पाई थीं। इस नीति में ये भी सुविधा दी गई है कि कुछ लोग या संस्थाएं मिलकर भी अपनी कंपनी बना सकते हैं और गौशाला के लिए सरकार से जमीन ले सकते हैं।

- सरकार गौसेवा के लिए संकल्पित है। निजी संस्थाओं को गौशाला बनाने के लिए सरकार अपनी ओर से जमीन उपलब्ध कराएगी। नई नीति के आधार पर निवेशकों को जमीन दी जाएगी। जल्द ही ये नीति लागू कर दी जाएगी। - लाखन सिंह यादव पशुपालन मंत्री