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बिजली खंभों पर कंपनी लगाएगी ग्रुप मीटर

एक और प्रयोग: 50 हजार उपभोक्ता होंगे प्रभावित, सबसे अधिक पुराने शहर के

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बिजली खंभों पर कंपनी लगाएगी ग्रुप मीटर

भोपाल. राजधानी के 150 क्षेत्रों में बिजली के खंभों पर ग्रुप मीटर लगाए जाएंगे, ताकि कोई छेड़छाड़ न कर सके। इनकी रीडिंग कंट्रोल रूम में ऑनलाइन दर्ज होगी। बिजली कंपनी उपभोक्ताओं के परिसर में भी रीडिंग बताने वाला डिवाइस लगाएगी। इससे उन्हें पता चलता रहेगा कि कितनी खपत हुई है। खंभे के मीटर में आई रीडिंग से ही बिल जेनरेट किया जाएगा।

गौरतलब है कि लाइन लॉस पर लगाम लगाने के लिए बिजली कंपनी पहले भी इस तरह के प्रयोग कर चुकी है, लेकिन इस बार बड़े स्तर पर किया जा रहा है। कंपनी के आला अफसरों का कहना है कि इससे करीब 50 हजार उपभोक्ता प्रभावित होंगे। इसमें सबसे अधिक शहर संभाग उत्तर यानी पुराने शहर के क्षेत्र शामिल हैं। यहीं पर सबसे अधिक लाइन लॉस दर्ज किया जा रहा है। नियमानुसार 15 फीसदी तक सीमित रहने वाला लाइन लॉस शहर के कई क्षेत्रों में 53 फीसदी तक दर्ज किया जा रहा है। कुछ फीडर में ये 60 फीसदी से अधिक है। अगर प्रयोग सफल रहा तो कंपनी अन्य क्षेत्रों में भी इसे लागू कर सकती है।

चोरी रोकने अब तक इतने मीटर-ट्रांसफॉर्मर
2001 में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाए गए, ताकि कोई इनसे छेड़छाड़ न कर सके।
2007 में अपडेट इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाना शुरू किया। फिर भी चोरी नहीं रुकी।
2008 में मीटर घोटाला हुआ। शहर में 24 हजार उपभोक्ताओं के परिसर से मीटर निकालने पड़े।
2010 में लाइन लॉस रोकने के लिए सिम वाले इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाए गए।
2012 में बड़े संस्थानों, स्ट्रीट लाइटिंग के मीटर खंभों पर ही लगाए, लेकिन प्रयोग फेल रहा।
2012 में हाइवॉल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत शहर के 86 क्षेत्रों में खंभों पर ट्रांसफॉर्मर लगाने का प्रोजेक्ट चलाया।
2015 में घरों में सिम वाले मीटर लगाए और सभी की रीडिंग ऑनलाइन कंट्रोल रूम में दर्ज करने की स्थिति बनी।
2017-18 में स्मार्ट मीटर की बात चली, इसके साथ ही ग्रुप मीटर फिर से लगाने का काम शुरू किया।

इसलिए जरूरी
प्रदेश सरकार ने 200 रुपए फिक्स दर पर संबल योजना के तहत गरीबों को बिजली देना शुरू किया है। इस योजना से कंपनी को तगड़ा घाटा होने की आशंका है। हालांकि शासन कंपनी को एडजस्टमेंट चार्ज देगा, लेकिन इसमें देरी हुई तो दिक्कत हो सकती है। ऐसे में कंपनी लॉस रोकने खुद के उपाय कर रही है।

ऐसे होती है गणना
संबंधित फीडर या क्षेत्र में भेजी गई बिजली का प्रति यूनिट की दर से कितनी राशि कंपनी को मिली है, उसके आधार पर लाइन लॉस निकाला जाता है। यदि 500 रुपए की 100 यूनिट बिजली भेजी गई और कंपनी की बिलिंग में महज 70 यूनिट के 350 रुपए ही प्राप्त हुए तो फिर 30 यूनिट लॉस में जाएगी। इससे कंपनी को घटा होता है।

ग्रुप मीटर से लाइन लॉस रोका जा सकेगा। सिटी सर्कल इस काम को कर रहा है। उम्मीद है कि पूरा लाभ मिलेगा।
एके खत्री, सीजीएम, भोपाल क्षेत्र, एमपीसीजेड

राजधानी में इस साल लाइन लॉस की स्थिति
संभाग जनवरी फरवरी मार्च अप्रैल मई
उत्तर 42.21 30.14 51.15 53.14 47.42
दक्षिण 23.79 2.94 32.29 32.19 27.70
पूर्व 24.40 20.12 31.42 30.95 32.05
पश्चिम 8.86 1.32 26.20 24.29 25.13

नोट- भोपाल सिटी सर्कल के चारों शहर संभागों का लाइन लॉस। बिजली परिवहन में 15 प्रतिशत लॉस का स्टैंडर्ड तय है। इससे अधिक होता है तो अवैध उपयोग की आशंका जताई जाती है।