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आखिर कैसे कारगर होगा सरकार का फैसला

अब तक निर्देशों पर अमल में फेल ही रहा है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नहीं है इनके पास कोई अधिकार

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Prashant Mishra

Jan 03, 2016

plastic bag

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आजमगढ़.
कहते है कि नौ दिन चले अढ़ाई कोस, हमारी प्रदेश सरकार भी कुछ ऐसी है। सर्वाेच्च न्यायालय वर्ष 2005 से प्रदूषण नियंत्रण के बड़े कारक पालीथीन बैग पर वैन की बात कर रहा है लेकिन हमारी सरकार है। कि एक दशक बाद अब चेती है। खैर देर से ही सही लेकिन सरकार ने पॉलीथीन बैग पर बिल्कुल दुरूस्त फैसला लिया है।


प्रदेश में पालीथीन बैग बैन किया जायेगा।पर इसकी जिम्मेदारी जिन्हे सौंपी जा रही है उसे लेकर सरकार की मंशा पर फिर सवाल खड़ा होने लगा है। कारण कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हालत यहां कठपुतली से ज्यादा नहीं है। कम से कम इस जिले में जहां विभाग आजतक किसी निर्देश पर अमल नहीं करा सका है। बस अधिकार न होने का रोना रोकर काम चला रहा है। ऐसे में वो पालीथीन का उपयोग कैसे रोकेगा।


जी हां यह एक कटु सत्य है। पिछले कुछ वर्षाे में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्रवाइयों पर गौर करें तो वर्ष 2005 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था कि जिन अस्पतालों, नर्सिंगहोंमों अथवा जांच सेंटरों में अपशिष्ट (कचरा) निस्तारण की व्यवस्था नहीं है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाय। उस समय अलग अलग रंग की डस्टविन रखने के बारे में भी निर्देश दिया गया था। इस पर अमल कराने की जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की थी।


वहीं सीएमओ को निर्देश था कि जिन अस्पतालों में उक्त व्यवस्था न हो उनका पंजीकरण अथवा नवीनीकरण न किया जाय लेकिन इस दिशानिर्देश का पालन आजतक नहीं हो सका है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तब से आजतक अस्पतालों को दर्जनों नोटिस जारी कर चुका है लेकिन किसी अस्पताल अथवा नर्सिंगहोम प्रबंधन ने इस गौर नहीं किया।


कुछ ऐसा ही हाल ईट भट्ठों, जनरेटर, वाहन आदि के मामलों में भी है। बस नोटिस तक सारी कवायद सिमटी है। बात यहीं समाप्त नहीं होती है। बिना अपशिष्ट निस्तारण की व्यवस्था के चल रहे पशु वधशाला को बंद कराने के लिए शासन द्वारा वर्ष 2012 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही जिला प्रशासन, विद्युत विभाग, नगरपालिका को अलग अलग निर्देश जारी किया गया लेकिन आज भी वधशाला में पशुओं का वध जारी है।


थोड़ा सा पीछे जाये तो वर्ष 2009 में तमसा नदी का पानी जहरीला होने के कारण जलीय जीव मरने लगे थे। उस समय भारत रक्षा दल, तमसा बचाओ संगठन द्वारा आंदोलन चलाया गया। भारद के लोगों ने नदी का कचरा निकालकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय में लाकर रख दिया था। उस समय हुई जांच में स्पष्ट हुआ था कि नदी के प्रदूषण का कारण नौ औद्योगिक इकाईया और इसमें बहाये जा रहे नाले है।


शासन द्वारा कार्रवाई का निर्देश दिया गया तो फिर मामला नोटिस तक सिमटकर रह गया। अब प्रदेश सरकार ने पालीथीन बैग पर प्रतिबंध की जिम्मेदारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपने बात कही है। ऐसे में यह कितना कारगर होगा समझा जा सकता है। विभाग किस किस को रोकेगा जबकि सभी जानते हैं कि इस विभाग के लोग नोटिस भेजने के अलावा कुछ कर ही नहीं सकते।