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हरितालिका तीज 2018: सौभाग्य वृद्धि के लिए भगवान शिव और मां गौरी की ऐसे करें पूजा!

हरितालिका तीज पर इस मंत्र का जाप कर देगा आपकी मुराद पूरी!...

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हरितालिका तीज 2018: सौभाग्य वृद्धि के लिए भगवान शिव व मां गौरी की ऐसे करें पूजा!

भोपाल। हरितालिका तीज का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। माना जाता है इस हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने रखा था। इसके फलस्‍वरूप भगवान शंकर पति के रूप में उन्‍हें मिले।

मान्यता है कि इसी के बाद से सौभाग्य से जुड़ा हरितालिका तीज का व्रत स्त्रियों और कुंवारी कन्याओं द्वारा किया जाता है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस पावन व्रत में भगवान शिव, माता गौरी और श्रीगणेश जी की विधि-विधान से पूजा साधना-अराधना का बड़ा महत्व है। यह व्रत निराहार एवं निर्जला किया जाता है।

कहा जाता है कि हरतालिका तीज के दिन भक्त की निष्ठा और तप से महादेव प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं माना जाता है कि इस दिन कुछ विशेष मंत्रों के जाप से कई प्रकार के वरदान पाए जा सकते हैं।

इस मंत्र का जाप देता है खास फल...

इस दिन विवाह संबंधी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए श्रद्धा पूर्वक मंत्र का 11 माला जाप करें...

मंत्र: " हे गौरीशंकर अर्धांगी यथा त्वां शंकर प्रिया।
तथा माम कुरु कल्याणी , कान्तकांता सुदुर्लभाम।।"

माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से मनचाहे और योग्य वर की प्राप्ति होती है। मंत्र का जाप संपूर्ण श्रृंगार करके ही करें और इस दिन मंत्र जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। इसके अलावा इस मंत्र का इस दिन शाम के समय मंत्र जाप करना सर्वोत्तम माना गया है।

व्रत का दिन...
पंडित शर्मा के अनुसार हरितालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हस्त नक्षत्र में दिनभर का निर्जल व्रत रहना चाहिए। मान्यता है कि सबसे पहले इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती के विवाह की कथा सुनने का काफी महत्व है।

कैसे करें पूजन...
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहुर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर एक चौकी पर रंगीन वस्त्रों के आसन बिछाकर शिव और पार्वती की मूर्तियों को स्थापित करें। साथ ही इस व्रत का पालन करने का संकल्प लें। संकल्प करते समय अपने समस्त पापों के विनाश की प्रार्थना करते हुए कुल, कुटुम्ब एवं पुत्र पौत्रादि के कल्याण की कामना की जाती है।

आरंभ में श्री गणेश का विधिवत पूजन करना चाहिए। गणेश पूजन के पश्चात् शिव-पार्वती का आवाहन, आसन, पाद्य, अघ्र्य, आचमनी, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, दक्षिणा तथा यथाशक्ति आभूषण आदि से षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।

पूजन के बाद ये करें...
पूजन की समाप्ति पर पुष्पांजलि चढ़ाकर आरती, प्रदक्षिणा और प्रणाम करें। फिर कथा श्रवण करें। कथा के अंत में बांस की टोकरी या डलिया में मिष्ठान्न, वस्त्र, पकवान, सौभाग्य की सामग्री, दक्षिणा आदि रखकर आचार्य पुरोहित को दान करें।

पूरे दिन और रात में जागरण करें और यथाशक्ति ओम नम: शिवाय का जप करें। दूसरे दिन और प्रात: भगवान शिव-पार्वती का व्रत का पारण करना चाहिए।

तीज पर यहां बदलेगी जनेउ और बंधेगी राखी (कुमांउनी व राजस्थानी समाज)...
लेकिन क्या आप जानते हैं इसी तीज का हमारे समाज के एक वर्ग में दूसरी तरह से भी अत्यधिक महत्व है। जी हां हम बात कर रहे हैं कुमांउनी व राजस्थान के तिवारी समाज की।

भोपाल में रहने वाले कुमांउनी समाज के तिवारी इसी को काफी अलग तरीके से मनाने हैं। कुमांउ समाज के तिवारी इस दिन जनैउ बदलने का खास त्यौहार मनाते हैं वहीं इसके अलावा इसी दिन यहां बहनें भाईयों को राखी भी बांधती हैं। वहीं राजस्थान के भी कई तिवारी इसी दिन यह कार्य करते हैं। जबकि इनके अलावा बाकि कुमांउनी समाज इस दिन अन्य लोगों की तरह ही शिव व माता गौरी की मूर्ति बनाकर उनकी पूजा कर रात्रि जागरण करता है।