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ये है हार्टअटैक का रामबाण उपाय! इस्तेमाल करने पर कभी पास भी नहीं भटकेगी ये बीमारी…

यह चीज तकरीबन हर किसी के घर में मिल...

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treatment of Heart Attack

ये है हार्टअटैक का रामबाण उपाय, इस्तेमाल करने पर कभी पास भी नहीं भटकेगी ये बीमारी!

भोपाल। हार्ट अटैक एक बहुत ही गंभीर रोग है। हार्ट अटैक को दिल का दौरा पड़ना भी कहते हैं। हार्ट अटैक की अहम वजह का कारण दिल तक खून पहुंचाने वाली किसी एक या एक से अधिक धमनियों में जमे वसा के थक्के के कारण रुकावट को बताया जाता है।

पहले के समय में सिर्फ उम्रदराज लोगों को ही हार्ट अटैक होता था, लेकिन आजकल तो अनियमित लाइफस्टाइल और तनाव भरे जीवन के चलते नौजवान को भी हार्ट अटैक हो रहे हैं।

हार्ट अटैक के मरीज अगर पहले से ही शरीर में दिखने वाले लक्षणों को गंभीरता से लें, तो मामले पर काबू पाया जा सकता है। हार्ट अटैक से करीब एक महीने पहले से सीने में हल्का दर्द, सांस लेने में दिक्कत, फ्लू की समस्‍या, मितली, ब्लड प्रेशर को लो या हाई होना, अधिक पसीना आना, कमजोरी महसूस होना, तनाव और घबराहट जैसे लक्षण दिखने देने लगते हैं।

जानकारों के अनुसार हार्ट अटैक के रोगियों को कभी कभी यह पता ही नहीं होता कि वे हृदय रोगी हैं। क्योंकि जब उन्हें अपने शरीर में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो वे उन्हें नजरअंदाज कर देते हैं। जिसके चलते बाद में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं।

इन्हीं सब बातों को देखते हुए हम आपको एक घरेलू नुस्खे के बारे में बताने जा रहे हैं। इसमें हम जिस नुस्खे कि हम बात कर रहे हैं, उसमें उपयोग होने वाली चीज तकरीबन हर किसी के घर में मिल जाती है, लेकिन जानकारों के अनुसार जागरुकता की कमी के चलते यह अब तक अधिकांश लोगों की पहुंच में नहीं आया है।

हालांकि जानकारों का यह भी कहना है कि जब हार्ट अटैक अपने चरम पर पहुंच जाए तो उस स्थिति में दवाई लेना सही है। लेकिन एक आम इंसान को जिसे कभी हार्ट अटैक नहीं आया है या जिसे हार्ट अटैक के लक्षण शरीर में दिखते हैं तो उसे प्राकृतिक चीजों का सहारा लेना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

आज हम आपको हार्ट अटैक से बचने के लिए गेंहू के जबरदस्त फायदों के बारे में बता रहे हैं। यानि कि अंकुरित गेंहू को खाने से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है।

इसके तहत सबसे पहले आपको 50 ग्राम कच्चा गेहूं को एक गिलास पानी में भिगोकर कम से कम 3 से 4 घंटे के लिए रखना होगा। इसके बाद इस पानी को इसमें से छानकर, अंकुरित होने के लिए किसी कपड़े में बांधकर तब तक रखें जब तक यह अंकुरित न हो जाए। इसमें 4 से 8 दिन तक लग सकते हैं।

उपयोग की विधि...
अंकुरित गेंहू के द्धारा हार्ट अटैक से बचने के लिए सबसे पहले गेंहू को 10 मिनट के लिए पानी में उबालें और फिर उन्हें अंकुरित करने के लिए किसी कपडे में बांध कर रख लें। ऐसा करने से गेंहू अच्छी तरह अंकुरित हो जाएंगे।

जब गेंहू में करीब 1 इंच तक लंबे अंकुर हो जाएं, तो रोज आधी कटोरी सुबह खाली पेट उन्हें खाएं। सिर्फ 3 से 4 दिन तक ही ऐसा करने से आपको अपने शरीर में काफी बदलाव दिखेगा और जीवन में हार्ट अटैक आने के चांस भी बहुत कम हो जाते हैं।

अब अगर आपके मन में यह सवाल आ रहा है कि अगर गेंहू को उबालेंगे तो यह अंकुरित कैसे होंगे? तो आपको बता दें कि जब उबले हुए गेंहू को अंकुरण के लिए रखा जाता है, तो उनमें से लगभग 5-10% गेंहू में ही वो सामर्थ्य होता है कि वो अंकुरित हो जाएं और जिन गेंहू में उबलने के बाद ये सामर्थ्य होता है वही हार्ट अटैक के लिए औषधि साबित होते हैं।

जानकारों के अनुसार ऐसा करने से इसमें मौजूद टॉक्सिक और कलरफुल नमक तब शरीर में धमनियों को ब्लॉक होने से रोकने में मदद करते हैं। और इसके साथ ही आपको हार्ट अटैक का खतरा भी फीसदी टल जाएगा।


इधर, हार्ट अटैक और डायबिटीज से बचाएगी यह रोटी!:-
अगर आपसे कहें कि केवल गेहूं के आटे से बनी रोटी खाने से आपकी डायबिटीज कंट्रोल में रहेगी और हार्ट अटैक संभावना भी कम रहेगी तो शायद आप इस पर यकीन नहीं कर सकेें।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक ऐसी प्रजाति की खोज की है, जिसके सेवन से मधुमेह और ह्रदय संबंधी बीमारियों में लाभदायक सिद्ध होगी।

इस विश्वविद्यालय के खाद्य विज्ञान एवं पोषण विभाग के वैज्ञानिकों ने राई से मिलकर बनी गेहूं की एक नई किस्म की खोज की है, जिसका नाम ट्रिटिकल रखा गया है। इस फिजिकल गेहूं में फाइबर ग्लाइसेमिक इंडेक्स और प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में है, जिसके कारण यह गेहूं सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है।

विश्वविद्यालय की खाद्य विज्ञान एवं पोषण विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सीमा सोनकर इन बीजों से औषधीय उत्पाद का निर्माण का प्रयोग कर रही हैं। डॉ. सोनकर ने गेहूं की इस प्रजाति से अभी मेडिकेटेड डिंक पाउडर और नॉन मेडिकेटेड डिंक पाउडर बनाया है। डॉ. सीमा सोनकर के अनुसार राई और गेहूं को मिलाकर विकसित की गई क्रास वेराइटी ट्रिटिकल है।

यह गेहूं मधुमेह प्रभावित लोगों के लिए बहुत बेहतर है क्योंकि इस गेहूं में ग्लाइसेमिक इंडेक्स 50 से 55 नंबर होता है जिसके कारण इसके प्रयोग से ब्लड ग्लूकोज बनने की रफ्तार कम हो जाती है।"

उनका कहना है कि इस गेहूं से बने उत्पाद शरीर में धीमी गति से अवशोषित होते हैं और फाइबर की मात्रा अधिक होने के कारण तेजी से पच भी जाते हैं। इसका प्रयोग इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित रखेगा और ब्लड शुगर शरीर में बहुत धीमी गति से बढ़ेगी।