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एम्स में इंजेक्शन लगाते ही 3 साल की बच्चे की मौत, मचा हड़कंप

MP News: एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि यह घटना तीन दिन पहले की है। एम्स प्रबंधन ने मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है।

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AIIMS

AIIMS प्रतिकात्मक फोटो (Photo Source - Patrika)

MP News: उपचार के दौरान इंजेक्शन देने से एम्स में एक बच्चे की मौत हो गई। तीन साल के बच्चे का नाम सार्थक यादव है। वह भोपाल का रहने बाला था और बल्ड कैंसर से पीड़ित था। परिजनों के विरोध करने और सोशल मीडिया में मौत की खबर आने के बाद मामला प्रकाश में आया है। परिजनों का आरोप है कि कथित तौर पर बच्चे की मौत गलत इंजेक्शन दिए जाने से हुई है। बच्चे को एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया गया था।

हालांकि अभी तक मौत के सही कारण की जानकारी नहीं लगी है। वहीं एम्स के डॉक्टरों ने बताया कि यह घटना तीन दिन पहले की है। एम्स प्रबंधन ने मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन किया है। डॉक्टरों ने बताया कि कमेटी जांच कर रही है कि बच्चे की मौत किन कारणों से हुई है। क्या बच्चे को गलत इंजेक्शन दिया गया या ओवर डोज के कारण बच्चे की मौत हुई।

अस्पताल में प्रोटोकॉल से होता है मरीजों का उपचार

एम्स भोपाल प्रशासन के अनुसार, संस्थान में मरीज का उपचार पूरी तरह तय प्रोटोकॉल के तहत होता है। विशेषज्ञ डॉक्टर तय करते हैं क्या इलाज करना है। ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए दवा, कीमोथेरेपी या इंजेक्शन का निर्णय हेमेटोलॉजी व मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर करते हैं। मरीज की रिपोर्ट बीमारी की अवस्था और सह-रोगों को देखकर लिखित आदेश जारी किया जाता है। डॉक्टर के आदेश के अनुसार दवा या इंजेक्शन प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ द्वारा ही दिया जाता है।

सुरक्षा और निगरानी जरूरी

दवा देने से पहले और बाद में मरीज की लगातार निगरानी की जाती है, ताकि किसी भी दुष्प्रभाव को समय पर संभाला जा सके। रोगी की सुरक्षा और उनकी निगरानी की जिम्मेवारी डॉक्टर और प्रशिक्षित नर्सिंग टीम की
होती है।

इंजेक्शन देने से पहले निगरानी में चूकः कुछ डॉक्टरों का कहना है कि बच्चे को इंजेक्शन देने से पहले उसकी स्थिति के बारे में पता लगाने में डॉक्टरों की कोई चूक होने की शंका है।