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जापान में 110 सालों से सिखाई जा रही है हिंदी

हिंदी विश्‍वविद्यालय में टोक्‍यो से आये प्रोफेसर ने बताये अपने अनुभव

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जापान में 110 सालों से सिखाई जा रही है हिंदी

भोपाल। हिन्दी साहित्य और हिन्‍दुस्‍तान के इतिहास, संस्‍कृति, मूल्‍यों को समझने जानने की जिज्ञासा की वजह से आज मैं जापान की एक यूनिवर्सिटी में हिन्दी का शिक्षक हूं। हिन्दी और जापानी भाषा की ग्रामर में कई समानताएं हैं। जापान ने भारत देश से अपने संबंध बनाने के लिए इंग्लिश की जगह हिन्दी भाषा को माध्‍यम बनाया। यह बात टोक्‍यो की दाइतो बुंका यूनिवर्सिटी के प्रो. हिदेआकी इशिदा ने मंगलवार को अपने व्‍याख्‍यान में कही।

अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्‍वविद्यालय में दाइतो बुंका यूनिवर्सिटी के प्रो. इशिदा और प्रो. इंदिरा भट्ट ने हिंदी भाषा से जुड़े अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि पिछले 36 साल से टोक्‍यो की दाइतो बुंका यूनिवर्सिटी में हिंदी सिखा रहे हैं। हिंदी के प्रति स्‍टूडेट्स की रुचि लगातार बढ़ रही है।

प्रो. इशिदा के अनुसार जापान के लोग भारत को गौतम बुद्ध का देश मानते हैं। इसलिए जापान में हिन्दी और हिन्‍दुस्‍तान का बहुत सम्‍मान है। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्‍होंने कहा कि भारत में रहते हुए कई हिंदी साहित्‍यकारों से मुलाकात हुई जिनकी रचनाओं को जापानी भाषा में अनुवाद किया। प्रो. इशिदा ने बताया कि सिर्फ टोक्‍यो में लगभग 7 हजार आईटी इं‍जीनियर भारतीय हैं।

उन्‍होंने कहा कि भारत का आर्थिक विकास और ग्‍लोबल छवि जापान को आगे बढऩे के लिये प्रोत्‍साहित करती है। व्‍याख्‍यान में मौजूद प्रो. इंदिरा भट्ट ने बताया कि उनकी शिक्षा भोपाल से हुई है और पिछले 18 सालों से दाइतो बुंका यूनिवर्सिटी में स्‍टूडेट्स को हिंदी सिखा रही हैं। प्रो. भट्ट के मुताबिक हिंदी में जितने व्यंजन और स्वर हैं उतने किसी दूसरी भाषा में नहीं है। हिंदी एक समृद्ध भाषा है। इस दौरान प्रो. भट्ट ने हिंदी के वाक्‍यों को जापानी भाषा में अनुवाद कर दोनों भाषाओं की समानता पर प्रकाश डाला।