
भोपाल@सुनील मिश्रा
राजधानी में 45 प्रतिशत भाग ही सीवेज नेटवर्क से जुड़ पाया है। शेष शहर में सीवेज निस्तारण की समुचित व्यवस्था करने नगर निगम को ₹950 करोड़ की जरूरत है। यह राशि मिलने पर ही सीवेज नेटवर्क की व्यवस्था हो पाएगी। तब तक बचे 55% क्षेत्र का अनुपचारित सीवेज नालों में ही बहता रहेगा और जलस्त्रोतों को गंदा करता रहेगा। इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।
एनजीटी ने आर्या श्रीवास्तव द्वारा लगाए गए प्रकरण में नगर निगम को जलस्रोतों में सीवेज मिलने से रोकने के इंतजाम करने के निर्देश दिए थे और रिपोर्ट मांगी थी। निगम ने हाल ही में एनजीटी को सौंपे जवाब में यह जानकारी दी है। निगम की ओर से बताया गया कि शहर के 45% हिस्से में अमृत-1 प्रोजेक्ट के तहत काम कराया गया है।
इसकी लागत 442 करोड़ थी। इसके तहत पुराने सीवेज सिस्टम का नवीनीकरण, नई सीवर लाइन डालने के साथ नए सीवेज पंप हाउस और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए हैं। शेष शहर में सीवेज नेटवर्क का काम अमृत -2 के तहत किया जाएगा। इसके लिए डीपीआर बनाने का काम चल रहा है।
इसके लिए 950 करोड़ रूपए की जरूरत होगी। बजट मिलने के बाद ही नए क्षेत्रों में काम शुरू होगा।
सिर्फ 1 लाख 26 हजार घर जुड़े सीवेज नेटवर्क से...
भोपाल में पिछले दो साल में सीवेज नेटवर्क डालकर 30 हजार घरों को सीवेज कनेक्शन से जोड़ा गया, अभी 16 हजार को और जोड़ने का काम चल रहा है। कुछ पहले से जुड़े हुए थे। निगम अधिकारियों के अनुसार इस प्रकार अभी तक भोपाल में 1 लाख 26 हजार घरों को सीवेज नेटवर्क से जोड़ा गया है। जबकि भोपाल में करीब चार लाख हाउसहोल्ड हैं।
सीवेज वाले 11 नाले अब भी मिल रहे जलस्त्रोतों में: शहर में 68 नाले सीधे जलस्त्रोतों बड़ा तालाब, छोटा तालाब, सिद्दीक हसन खां तालाब, मोतिया तालाब, कलियासोत नदी में मिल रहे थे। निगम का दावा है इनमें से 57 नालों को डायवर्ट कर एसटीपी से जोड़ दिया है। जिससे इनका गंदा पानी सीधे जलस्त्रोतों में नहीं मिलेगा।
हालांकि अभी 11 नाले डायवर्ट नहीं हो पाए हैं। इन्हें डायवर्ट करने का काम भी अमृत-2 प्रोजेक्ट में ही किया जाएगा। एसटीपी में ट्रीट किए गए पानी का उपयोग गार्डनिंग, कृषि, फायर ब्रिगेड, सड़कों की सफाई में किया जा रहा है।
सीवेज ट्रीटमेंट की यह है स्थिति-
प्रतिदिन कुल निकलने वाला सीवेज- 390 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी)
कुल ट्रीटमेंट क्षमता - 171.92
दोनों में गैप- 218.08 एमएलडी
एनजीटी के आदेशों पर अमल किया जा रहा है। जलस्त्रोतों के आसपास के अधिकांश नालों को एसटीपी की ओर डायवर्ट कर दिया गया है। सीवेज नेटवर्क बिछाने का काम भी जारी है। बचे हुए शहर में अमृत-2 के तहत काम कराया जाएगा।
- केवीएस चौधरी, नगर निगम आयुक्त
एसटीपी : क्षमता (एमएलडी में)
कोटरा : 10
चूना भट्टी : 9.5
गोंदरमऊ : 2.34
माता मंदिर : 4.56
बावड़िया कलां : 13
बड़वई : 16.7
महोली दामखेड़ा : 35
बरखेड़ा पठानी : 4.5
पिपलानी भेल : 2.5
शिरीन रिवर : 05
नीलबड़ : 06
सनखेड़ी : 32
चार इमली : 4.5
मिसरोद : 20.5
प्रोफेसर कॉलोनी : 02
जमुनिया छीर : 3.50
एकांत पार्क : 02
Published on:
05 Aug 2022 10:20 am
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