स्वराज भवन में आयोजित विदाई समारोह में बोले एमपीएसडी के पूर्व डायरेक्टर संजय उपाध्याय
भोपाल। मुझे बस इतना सा अफसोस है कि मैं सचिन तेंदुलकर की तरह 99 पर आउट हो गया, मुझे सेंचुरी बनानी थी.... मैंने आठ साल तक अ'छे से मप्र नाट्य विद्यालय (एमपीएसडी) का संचालन किया, 2 साल और करने की ख्वाहिश थी। लेकिन मुझे गर्व है कि मैं विजेता की तरह जा रहा हूं। विदाई समारोह में कुछ इस अंदाज में एमपीएसडी के पूर्व डायरेक्टर संजय उपाध्याय ने अपने दिल की बात कही।
बुधवार को स्वराज भवन में भोपाल व मप्र के रंगकर्मियों की ओर से संजय उपाध्याय के लिए एक विदाई समारोह और रंग संवाद आयोजित किया गया। शहर में टॉप क्लास का नाटक देखने की बात हो या फिर रंगकर्मियों से भेदभाव और अधिकारों की बात हो। कभी भी एक साथ इतने रंगकर्मी एक साथ नहीं आए।
200 से अधिक रंगकर्मी मौजूद रहे
यह रंगकमिर्यों का संजय उपाध्याय के प्रति स्नेह ही था कि एक विदाई समारोह में वरिष्ठ और युवा मिलाकर करीब 200 से अधिक रंगकर्मी मौजूद रहे। एमपीएसडी को लेकर संजय ने कहा कि मेरे रहते खाना बन चुका है, अब बस नए डायरेक्टर (आलोक चटर्जी) को उसे अ'छे से परोसना है। मैंने यहां स्टूडेंट इंटर्नशिप प्रोग्राम शुरू किया। इसके बाद एक्सटेंशन प्रोग्राम और चिल्ड्रंस थिएटर पर प्लानिंग हुई, जिसे पूरा करना अब आप सभी रंगकर्मियों की जिम्मेदारी है।
शिक्षक की प्रतिभा को कोई देश नहीं होता
इस दौरान टीवी एक्टर राजीव वर्मा ने कहा कि शुरुआत में मुझे लगता था कि एक आउटसाइडर को एमपीएसडी का डायरेक्टर क्यों बना दिया? फिर मुझे समझ आया कि शिक्षक की प्रतिभा को कोई देश नहीं होता है। मेरी ख्वाहिश है कि वे एनएसडी के डायरेक्टर बनें। इस मौके पर साहित्यकार व समीक्षक विजय बहादुर राय, रंगकर्मी बालेन्द्र कुमार बालू, राजीव सिंह, केजी त्रिवेदी, सरफराज हसन, विनय उपाध्याय, सुनील मिश्र, विभा श्रीवास्तव, अशोक बुलानी, बिशना चौहान, समेत कई वरिष्ठ रंगकर्मियों ने भी अपनी बात रखी।
खुद को जीवन भर मानूंगा मप्र का निवासी
संजय ने एक्सपीरियंस शेयर करते हुए बताया कि मैं पहली बार बंशी कौल की वजह से भोपाल अपना नाटक लेकर आया था। कुछ सालों बाद जब मुझे एमपीएसडी की स्थापना की जिम्मेदारी मिली तो मैंने सोचा कि जिस प्रदेश में बव कारंत, अलखनंदन, हबीब तनवीर जैसे रंगकर्मी रहे हों मैं वहां क्या करुंगा। मैं तो यहां से एक साल में ही चला जाता लेकिन वाणी त्रिपाठी का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने कहा कि नाट्य विद्यालय का जो सपना देखा उसे पूरा करना है। मैं जीवन भर खुद को मप्र का निवासी मानूंगा, क्योंकि मेरा आधार कार्ड यहीं का बना है, भोपाल से मेरा लगाव और जुड़ाव कभी नहीं छूट सकता।