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पानी के नियम नहीं माने तो कॉलोनी अनुमति रद्द, जब्त हो सकती है संपत्ति

पानी का प्रपंच : वॉटर हार्वेस्टिंग-बोरिंग और स्टोरेज के बनेंगे नए नियम- नियम नहीं माने तो रद्द होगी परमिशन, जब्त होगी संपत्ति

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पानी रे पानी...तेरी कदर न जानी

water

जितेन्द्र चौरसिया/अरुण तिवारी, भोपाल. गर्मी में पानी पर मचे हाहाकार के बाद कमलनाथ सरकार ने पानी पर सारे नियमों को बदलने की तैयारी कर ली है। इसके तहत कॉलोनाइजर्स पर शिकंजा कसा जाएगा। यदि कॉलोनी में वॉटर हार्वेस्टिंग और बोरिंग के नियमों को नहीं माना गया तो संपत्ति जब्त करने तक की कार्रवाई होगी। नियम नहीं मानने पर प्रॉपर्टी टैक्स के साथ ही इसका जुर्माना भी लगा दिया जाएगा। लगातार तीन साल तक नियमों की अनदेखी पर प्रॉपर्टी जब्त की जा सकेगी। सरकार इसका मसौदा तैयार कर रही है, जो आने वाले दिनों वॉटर एक्ट के तहत लागू किया जाएगा।
- ये होंगे प्रमुख नए नियम
1- नगरीय प्रशासन विभाग वॉटर हार्वेस्टिंग, बोरिंग व आपूर्ति के नियमों को नया स्वरूप देगा। अभी कॉलोनियों में वॉटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है, लेकिन इसका पालन नहीं हो रहा है। अब मल्टी-फ्लैट, बड़े मकान और कॉलोनी के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग के नियम अलग-अलग रहेंगे। इनका पालन नहीं किया तो बिल्डिंग परमिशन रद्द हो जाएगी। इतना ही नहीं प्रापॅर्टी टैक्स के साथ इसे लिंकअप किया जाएगा। यदि हार्वेस्टिंग नहीं की तो प्रॉपर्टी टैक्स में भारी जुर्माना लगेगा।
2- अभी जिसकी मर्जी होती है, वो बोरिंग करा लेता है। कई बार एक ही घर पर दो-तीन बोरिंग करा लिए जाते हैं, लेकिन अब बोरिंग की मशीनों के रजिस्ट्रेशन, बोरिंग संख्या मॉनिटरिंग और रिपोर्ट की व्यवस्था की जाएगी। बिल्डिंग परमिशन में भी बोरिंग की संख्या, गहराई व आवश्यकता को जोड़ा जाएगा।
3- अभी तक वॉटर मीटर में फेल रही सरकार इसे अब सख्ती से लागू करेगी। सारी नई परियोजना बिना वॉटर मीटर के मंजूर नहीं होगी। इसके अलावा पुरानी परियोजनाओं में भी इसे चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य किया जाएगा। वॉटर मीटर लगने पर पानी के मासिक शुल्क में भी बढ़ोतरी होगी। इसका मकसद पानी का अपव्यय रोकना है।
- इसलिए पड़ी जरूरत
कमलनाथ सरकार ने राइट-टू वॉटर एक्ट लागू करने का ऐलान किया है। इसके लिए नगरीय प्रशासन, ग्रामीण विकास और पीएचई विभाग अपने-अपने स्तर पर मसौदा तैयार कर रहे हैं। शहरों में पानी की समस्या ज्यादा है, इस कारण नगरीय प्रशासन विभाग ने वॉटर एक्ट के लिए कॉलोनी नियमों को लिंकअप करके नए प्रावधान करना तय किया है।
- क्या रही स्थिति
2019 मार्च में प्रदेश की केवल 12 फीसदी आबादी को पेयजल
15 साल में सूबे की केवल 6 फीसदी आबादी को पेयजल उपलब्धता
15 साल में पेयजल के इंतजामों पर 35 हजार करोड़ से ज्यादा खर्च
05 साल में अब 50 फीसदी आबादी तक पेयजल का लक्ष्य रखा
07 साल में जल निगम केवल 700 गांवों तक पानी पहुंचा सका
378 में से 197 निकायों में ही पेयजल योजना पूरी, 181 में अधूरी
15787 नल-जल योजनाएं गांवों में, जिसमें 1450 योजनाएं बंद
600 योजनाएं भूजलस्तर गिरने व 166 लाइन क्षतिग्रस्त होने से बंद
327 योजनाएं जीर्ण-शीर्ण होने व 596 जल स्त्रोत फेल होने से बंद

- 7 साल में महज 700 गांवों को दे सके पानी
गांवों तक पेयजल पहुंचाने के लिए पिछले सात साल में सरकार ने 15174 करोड़ रुपए खर्च किए, लेकिन पानी महज 700 गांवों तक पहुंचा सकी। सरकार ने गांवों तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए 2012 में जल निगम की स्थापना की थी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की एक हालिया रिपोर्ट कहती है कि जल निगम 10 फीसदी से भी कम गांवों को पानी मुहैया करा पाया है। पानी पहुंचाने के लिए जो इंतजाम किए थे वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। एक चौथाई हैंडपंप और नलकूप फेल हो गए। सरकार के मुताबिक सामान्य दिनों में एक व्यक्ति के हिस्से में 40 लीटर पानी आता है।
- बंद पड़े एक तिहाई नलकूप
पिछले तीन सालों में पूरे प्रदेश में 25 हजार से ज्यादा नलकूप खनन किया गया, जिनमें से 8000 से ज्यादा बंद पड़े हुए हैं। मध्य क्षेत्र में 2935 नलकूप खोदे गए, जिसमें से 900 बंद है। मालवा में 3596 नलकूप खनन और हैंडपंप लगाए गए, जिनमें से 1000 से ज्यादा या तो फेल हो गए या सूख चुके हैं। ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड में 3801 खनन में से 1100 से ज्यादा बंद हैं। वहीं, महाकौशल और विंध्य में 15000 नलकूप खोदे गए जिनमें से पांच हजार से ज्यादा बंद पड़े हुए हैं।
- साल दर साल पानी का बजट
वर्ष - बजट
2012-13 - 1449
2013-14 - 1727
2014-15 - 2110
2015-16 - 2242
2016-17 - 2599
2017-18 - 2061
2018-19 - 2986
2019-20 - 4366
(बजट करोड़ रुपए में।)


सरकार वॉटर एक्ट ला रही है। इसके लिए पानी को लेकर सारे नियमों को सख्त किया जाएगा। अभी इस पर काम चल रहा है।
- संजय दुबे, पीएस, नगरीय प्रशासन

प्रदेश में 15 साल लगातार शासन करने वाली भाजपा ने लोगों को पाने का पानी तक मुहैया नहीं कराया है। करोड़ों रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गए। हमने न सिर्फ विभाग का बजट बढ़ाया है बल्कि राइट टू वॉटर के लिए अलग से फंड भी रखा है।
- सुखदेव पांसे, मंत्री, पीएचई