
5 और 108 की संख्या होती है शुभ, जानिये इनका रहस्य
भोपाल। अंक शास्त्र हो, ज्योतिष हो या धर्म इन सब में संख्या विशेष का खास महत्व माना जाता है। कहीं कोई संख्या शुभ तो कहीं कोई संख्या अशुभ...
संख्याओं के इस मायाजाल को जहां एक ओर संख्या के प्रतिनिधित्व करने वाले देव या ग्रह को देखा जाता है। वहीं कहा जाता है कि संख्या का ये खेल लोगों को काफी हद तक फलता भी है। इसी तरह हिन्दूधर्म में संख्या 108, 9 और 5 का विशेष महत्व माना जाता है।
इस संबंध में पंडित सुनील शर्मा कहते हैं कि एक और जहां 108 का कुल योग ही 9 होता है। वहीं 5 नंबर का भी खास महत्व माना गया है और ये पांच खासियत भी मुख्य रूप से 9 ही हैं।
ऐसे समझें 5 की खासियत...
1. आदिपंचदेव : सूर्य, गणेश, शिव, शक्ति यानि दुर्गा और विष्णु ये आदिपंचदेव कहलाते हैं। सूर्य की दो परिक्रमा, गणेश की एक परिक्रमा, शक्ति की तीन, विष्णु की चार और शिव की आधी परिक्रमा की जाती है।
2. पांच उपचार पूजा : गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य अर्पित करना पंच उपचार पूजा कहलाती है।
3. पंचामृत : दूध, दही, घी, चीनी (शकर), शहद का मिश्रण पंचामृत के नाम से जाना जाता है।
4. पंचांग : जिस पुस्तक या तालिका में तिथि, वार, नक्षत्र, करण और योग को सम्मिलित रूप से दर्शाया जाता है उसे पंचांग कहते हैं।
5. पंच गव्य : भूरी गाय का मूत्र (8 भाग), लाल गाय का गोबर (16 भाग), सफेद गाय का दूध (12 भाग), काली गाय का दही (10 भाग), नीली गाय का घी (8 भाग) का मिश्रण पंचगव्य के नाम से जाना जाता है।
6. पंचमेवा : काजू, बादाम, किशमिश, छुआरा, खोपरागिट पंचमेवा के नाम से जाने जाते हैं।
7. पंच पल्लव : पीपल, गूलर, अशोक, आम और वट के पत्ते सामूहिक रूप से पंच पल्लव के नाम से जाने जाते हैं।
8. पंच पुष्प : चमेली, आम, शमी (खेजड़ा), पद्म (कमल) और कनेर के पुष्प सामूहिक रूप से पंच पुष्प के नाम से जाने जाते हैं।
9. पंच गंध : चूर्ण किया हुआ, घिसा हुआ, दाह से खींचा हुआ, रस से मथा हुआ, प्राणी के अंग से पैदा हुआ ये पंच गंध है।
वहीं संख्या 108 के संबंध में ये हैं खास रहस्य...
हिन्दूधर्म में 108 के अंक का अपना एक अलग महत्व है। रुद्राक्ष की माला में 108 मनके होते हैं, मंत्रों का जाप 108 बार किया जाता है। ईश्वर का नाम लेना हो तो उसे भी तभी शुभ और संपूर्ण माना जाता है जब वह 108 बार लिया जाए।
वैसे 108 अंक की प्रमुखता, उसकी महत्ता और प्रभाव ना सिर्फ हिन्दू धर्म में देखा जाता है बल्कि अन्य धर्मों में भी इसे स्वीकार किया गया है। चलिए जानते हैं इस 108 अंक के पीछे कारण क्या है।
बहुत से एशियाई धर्मों में 108 के अंक को पवित्र माना गया है। बौद्ध, जैन आदि धर्मों के अलावा योग में भी इस अंक को महत्वपूर्ण माना गया है।
- मुख्य शिवांगों की संख्या 108 होती है इसलिए सभी शैव संप्रदाय, विशेषकर लिंगायत संप्रदाय में रुद्राक्ष की माला में 108 मनकों का जाप होता है। इसके अलावा वे रोजाना सुबह शिव के अष्टशतनामवली’ का जाप भी करते हैं।
- यहूदी लोग जब भी कभी दान करते हैं या फिर चंदा देते हैं 18 से गुणा करके ही देते हैं, जिसका संबंध हिब्रू भाषा में चाइ अर्थात, जीवन या जीवित से है।
108 अंक भी 18 से गुणा होता है और इस अंक में 1 और 8 दोनों ही संख्याएं हैं। ईसाईधर्म की पुस्तक के पहले खंड, जिनीसेस में उल्लिखित है कि इसाक की मौत 108 वर्ष की उम्र में हुई थी।
- तिब्बत के बौद्धधर्म में भी जापमालाओं में 108 मनके ही होते हैं, लेकिन कभी कभार ‘गुरु’ मनकों को मिलाकर इनकी संख्या 11 भी होती है। ज़ेन धर्म से संबंधित धर्मगुरु और अनुयायी अपनी कलाई पर जापमाला बांधते हैं उनकी संख्या भी 108 ही होती है।
- गौड़ीय वैष्णव धर्म में भी वृंदावन में 108 गोपियों का जिक्र किया गया है। 108 मनकों के साथ-साथ सभी गोपियों के नामों का जाप, जिसे नामजाप कहते हैं, पवित्र और शुभ माना जाता है। श्रीवैष्णव धर्म में विष्णु के 108 दिव्य क्षेत्रों को बताया गया है जिन्हें ‘108 दिव्यदेशम’ कहा जाता है।
- हिन्दूधर्म से संबंधित कम्बोडिया के प्रसिद्ध अंगकोरवाट मंदिर की प्रख्यात नक्काशी में भी समुद्र मंथन की घटना को दर्शाया गया है जब क्षीर सागर पर मंदार पर्वत पर बंधे वासुकि नाग को 54 देव और 54 राक्षस (108) अपनी-अपनी ओर खींच रहे थे।
- लंकावत्र सूत्र में भी एक खंड है जिसमें बोधिसत्व महामती, बुद्ध से 108 सवाल पूछते हैं। एक अन्य खंड में बौद्ध 108 निषेधों को भी बताते हैं। बहुत से बौद्ध मंदिरों में सीढ़ियां भी 108 रखी गई हैं।
- जापानी संस्कृति में बौद्ध धर्म के अनुयायी बीतते साल को अलविदा कहने और नव वर्ष के आगमन के लिए मंदिर की घंटियों को 108 बार बजाते हैं। प्रत्येक घंटी 108 में से एक सांसारिक प्रलोभन का प्रतिनिधित्व करती है, जिसे त्यागकर व्यक्ति को निर्वाण के मार्ग पर चलना चाहिए।
- वहीं एक्युप्रेशर के अनुसार भी शरीर में 108 प्रकार के प्रेशर प्वॉइंट्स होते हैं। जहां चेतना और देह मिलकर जीवन का सृजन करते हैं।
Published on:
25 Nov 2018 01:23 pm
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