मध्यप्रदेश वृत्ति-कर संशोधन विधेयक 2018
भोपाल. प्रदेश में विजयी पारी शुरू करने से पहले भाजपा ने 2003 के विधानसभा चुनाव के घोषणा-पत्र में सरकारी कर्मचारियों का प्रोफेशनल टैक्स माफ करने का वादा किया था, लेकिन 15 साल की भाजपा सरकार इसे पूरा माफ नहीं कर सकी। 2003 में उमा भारती मुख्यमंत्री बनी थीं। उनके बाद बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान भी इस वादे को पूरा नहीं कर पाए।
सरकार ने 14वीं विधानसभा के अंतिम सत्र में सरकार ने मध्यप्रदेश वृत्ति कर संशोधन विधेयक-2018 हंगामे के बीच बिना चर्चा के पारित कर दिया। दरअसल, भाजपा जब विपक्ष में थी तो दिग्विजय शासनकाल में लगे प्रोफेशनल टैक्स के खिलाफ थी। भाजपा ने इसे जजिया कर बताकर अपनी सरकार आने पर माफ करने का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के बाद भूल गई। इन 15 सालों में मार्च 2016 और 2017 में दो बार इसके नियमों में बदलाव किए गए। पहले यह सभी पर समान रूप से 2500 रुपए प्रतिवर्ष लगता था। बाद में स्लैब बनाए गए। अब इनको भी बदला गया है। साथ ही छूट का दायरा बढ़ाया गया।
विपक्ष का सवाल - जीएसटी तो फिर ये क्यों?
कांग्रेस का कहना है कि देश में जीएसटी वसूला जा रहा है तो प्रोफेशनल टैक्स क्यों? कांग्रेस विधायक सुंदरलाल तिवारी कहते हैं, सरकारी कर्मचारी को जीएसटी में कोई छूट तो है नहीं। विधेयक लाने के पहले विधायकों को 48 घंटे अध्ययन मिलना चाहिए, लेकिन विधानसभा में हंगामा करके अनुपूरक बजट भी पास करा लिया और विधेयक भी पास कर दिया। ये सरकार की मंशा पर सवाल उठाता है।
12 प्रतिशत कर्मचारियों को फायदा
इस विधेयक के संशोधनों से सरकार ने चुनाव के पहले कर्मचारियों को साधने की कोशिश की है, लेकिन नए स्लैब का फायदा 10-12 प्रतिशत कर्मचारियों को ही मिलेगा। नए स्लैब में 1.50 लाख से छूट बढ़ाकर 2.50 लाख सालाना कर दी गई है, लेकिन सातवां वेतनमान लगने के कारण 90 फीसदी कर्मचारी छूट के दायरे से बाहर हो गए हैं।
स्लैब सभी के लिए समान
इसकी मूल विसंगति बरकरार ही रह गई। 1000, 1500 और 2500 रुपए सालाना कर दिए गए हैं। इससे कर्मचारियों को कोई विशेष फायदा नहीं है। क्योंकि, यह स्लैब समान रूप से सरकारी और निजी कर्मचारी सहित व्यवसायियों पर भी लागू है।
सरकार ने प्रोफेशनल टैक्स में छूट का दायरा 1.50 रुपए से बढ़ाकर 2.50 लाख सालाना कर दिया है। इससे कर्मचारियों, व्यापारियों और अन्य वर्गों को फायदा होगा। सरकार कमजोर आय वर्ग को आर्थिक रूप से मजबूत करने का प्रयास कर रही है। इससे पहले कभी कर्मचारियों के लिए इतनी हितैषी सरकार नहीं रही। कांग्रेस के समय तो कर्मचारियों पर केवल टैक्स लादे गए।
- जयंत मलैया, मंत्री, वित्त
भाजपा सरकार ने 2003 में प्रोफेशनल टैक्स पूरी तरह माफ करने का वादा था। तब से हम लगातार मांग कर रहे हैं, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया है। सातवें वेतनमान के कारण अब अधिकतर कर्मचारियों की आमदनी 2.50 लाख रुपए सालाना से ज्यादा है, इसलिए इस छूट का फायदा कम कर्मचारियों को मिलेगा।
- लक्ष्मीनारायण शर्मा, महामंत्री, राज्य तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ