scriptindependence day special: तिरंगा तो थामें ही, इसके मूल्य- स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा को न भूलें | independence day special interview | Patrika News
भोपाल

independence day special: तिरंगा तो थामें ही, इसके मूल्य- स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा को न भूलें

75वें स्वतंत्रता दिवस पर जानिए तिरंगे की ऐतिहासिक यात्रा का किस्सा, पत्रिका के लिए शहीद भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन सिंह से कुणाल किशोर की बातचीत पर आधारित…
 

भोपालAug 15, 2022 / 01:41 am

govind agnihotri

Independence day special: तिरंगा तो थामें ही, इसके मूल्य- स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा को न भूलें

वर्ष 1931 वाला यह वही मूल तिरंगा है, जो कराची अधिवेशन के दौरान क्रांतिकारियों ने थामा था।

21 अगस्त 1907… दिन था बुधवार। मैडम भीकाजी कामा… भारतीय मूल की एक पारसी नागरिक, लेकिन देशभक्ति के जज्बे से ओत-प्रोत। उन्होंने जर्मनी के स्टुगट शहर में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में आजाद भारत की घोषणा कर तिरंगा फहराया था। तब तिरंगा आज के जैसा नहीं था। लंदन, जर्मनी और अमरीका में उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के पक्ष में माहौल बनाया था। तिरंगे में समाए स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा के मूल्यों को आधार बनाकर 1913 में गदर पार्टी ने सैन फ्रांसिस्को स्थित मुख्यालय जुगांतर आश्रम में झंडा फहराया था। इसे परिभाषित करते हुए 1915 में शहीद करतार सिंह सराभा ने अपने ऐतिहासिक अदालती बयान में स्पष्टता से दोहराया था।

मौलिक अधिकारों का प्रस्ताव
26 जनवरी 1930 को संपूर्ण आजादी का प्रस्ताव पारित करने के बाद रावी तट पर इसी तिरंगे की कसम ली गई थी। भगत सिंह और उनके साथियों ने ये स्पष्टता मांगी थी कि संपूर्ण आजादी से आम मेहनतकश लोगों को क्या मिलेगा? इस पर 26 मार्च 1931 को कराची अधिवेशन में सामाजिक मूल्यों को परिभाषित कर तिरंगे को कौमी झंडे की मान्यता दी गई। मौलिक अधिकारों का प्रस्ताव पारित कर भरोसा दिया गया कि मौलिक अधिकारों की स्थापना से यह मूल्य हर नागरिक तक पहुंचाए जाएंगे।


मूल्यों का संकल्प

इसी तिरंगे के अधीन देश के नौजवानों ने 9 अगस्त 1942 को अगस्त क्रांति में अपनी आहुतियां दी थीं। आजाद हिंद फौज के गठन पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने इन्हीं मूल्यों के संकल्प पर तिरंगे को अपनाया था। 1946 में जब भारतीय नौसेना ने बगावत की और जवान हड़ताल पर चले गए, तब भी भारतीय एकता के प्रतीक के रूप में यही तिरंगा फहराया गया था।

 

Independence day special: तिरंगा तो थामें ही, इसके मूल्य- स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा को न भूलें


तिरंगे के यही हैं तीन मूल्य

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय स्थापित करने के लिए तिरंगे के तीनों मूल्यों को लेकर वर्ष 1950 में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
1- स्वतंत्रता: विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की आजादी।
2- समानता: प्रतिष्ठा और अवसर की समानता।
3- भाईचारा: व्यक्ति की गरिमा, राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए भाईचारा।

Independence day special: तिरंगा तो थामें ही, इसके मूल्य- स्वतंत्रता, समानता, भाईचारा को न भूलें


कहीं ये सफर बदल तो नहीं रहा?
वक्त सोचने का है। कहीं हमारे तिरंगे का सफर बदल तो नहीं रहा? संवैधानिक तिरंगा स्वदेशी की अवधारणा को मजबूती देता है। उसकी भावना लाखों हाथों को रोजगार देने की है। वर्तमान में जो धनी कॉर्पोरेट मशीनरी से बना तिरंगा है, हमें उसका ग्राहक बनाकर हमारी ऐतिहासिक भावनाओं और विचारों पर गहरी चोट तो नहीं की जा रही? आप तिरंगा तो जरूर उठाएं, पर इसके तीन मूल्यों स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा को याद रखते हुए उठाएं। यह सवाल भी जरूर करें कि यह स्वदेशी तिरंगा है या कॉर्पोरेट (पूजीपतियों) का बना तिरंगा?

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो