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International Tiger Day: देश में एमपी फिर नंबर वन, बढ़ गई बाघों की संख्या

मध्यप्रदेश एक बार फिर टाइगर स्टेट बनने जा रहा है। इस बाघ गणना में भी यह 700 से 730 बाघ के साथ पहले स्थान पर रह सकता है...

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मध्यप्रदेश एक बार फिर टाइगर स्टेट बनने जा रहा है। इस बाघ गणना में भी यह 700 से 730 बाघ के साथ पहले स्थान पर रह सकता है। पीएम नरेन्द्र मोदी शनिवार दोपहर 3 बजे उत्तराखंड स्थित जिम कार्बेट नेशनल पार्क में बाघ गणना-2022 के राज्यवार आंकड़े जारी करेंगे। 2018 की गणना में भी 526 बाघ के साथ मप्र पहले स्थान पर रहा था। दूसरे नंबर पर 500 से 530 बाघों के साथ उत्तराखंड रह सकता है। कर्नाटक इस बार तीसरे स्थान पर आ सकता है।

अब पार्क फेंसिंग के लिए अरबों की जरूरत पूर्व पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ जेएस चौहान के अनुसार, अभी 6 टाइगर रिजर्व का कोर एरिया 11 हजार स्क्वायर किलोमीटर का है। वहीं, बफर मिलाकर 16 हजार स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र होता है। इतने बड़े क्षेत्र की फेंसिंग के लिए अरबों के बजट की जरूरत होगी, जो संभव नहीं होगा। 2030 तक मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या एक हजार के आसपास पहुंच सकती है। प्रदेश के जंगलों में इतनी ही क्षमता है। 10 साल पहले जितने पार्क और सेंचुरी थीं, उतने ही आज भी हैं। सरकार ने कूनो पालपुर के रूप में सिर्फ एक नए नेशनल पार्र्क का गठन किया है, जो पहले सेंचुरी था।

चार दशक से अटका ओंकारेश्वर नेशनल पार्क

ओंकारेश्वर नेशनल पार्क का प्रस्ताव चार दशक से अटका हुआ है। यहां करीब 600 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में पार्क तैयार किया जाना है। इतने बड़े क्षेत्र में 70 से 80 बाघों को बसाया जा सकता है। इसी तरह सिंगाजी, मंधाता, डॉ. अंबेडकर सेंचुरी के प्रस्ताव भी वर्षों से अटके हुए हैं। श्योपुर, बालाघाट, मंडला, छिंदवाड़ा, शहडोल, डिंडौरी, सागर, खंडवा, जबलपुर, इंदौर, सिवनी और नर्मदापुरम में वाइल्ड लाइफ सेंचुरी बनाने की तैयारी थी। रातापानी, ओंकारेश्वर और मांधाता को नेशनल पार्क बनाने प्रस्ताव तैयार था। अभी बांधवगढ़ के 1536.934 वर्ग किमी क्षेत्र में 124 और कान्हा के 2051.791 वर्ग किमी क्षेत्र में 108 बाघ हैं। बांधवगढ़ में 6-7 हजार वर्ग किमी और कान्हा में 5-6 हजार वर्ग किमी क्षेत्र होना चाहिए। राज्य के 526 बाघों के लिहाज से करीब 31 हजार वर्ग किमी क्षेत्र की दरकार है।

राजनीतिक हस्तक्षेप बड़ी समस्या

प्रदेश के सबसे बड़े नेशनल पार्क कान्हा का क्षेत्रफल 940 स्क्वायर किमी है। यहां बसे गांवों की शिफ्टिंग में राजनीतिक हस्तक्षेप एक बड़ी समस्या है।

छह साल में मर गए 130 बाघ

मप्र में जिस तेजी से बाघ बढ़ रहे हैं, उसी तेजी से वन क्षेत्र घटते जा रहे हैं। टाइगर रिजर्व में भी क्षमता से ज्यादा बाघ होने से आपसी टकराव भी लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले 6 वर्षों में 130 बाघ मर चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मप्र के जंगलों की क्षमता के अनुसार यहां 1000 बाघ रह सकते हैं। 2030 में यहां इतने ही बाघ होंगे भी। ऐसे में अब प्लान के अनुसार 3 नेशनल पार्क और 11 सेंचुरी और बनाने होंगे। गांव हटे तो बढ़ेगा दायरा प्रदेश के नेशनल पार्र्क और सेंचुरी में इस समय 61 गांवों का विस्थापन होना बाकी है। यदि ये गांव बाहर होंगे तो 13652 हेक्टेयर क्षेत्र बढ़ेगा, जिसमें 20 बाघों को रहवास मिल सकेगा।

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