
पार्टी के मापदंड पक्के हैं : मुरलीधर राव
विजय चौधरी
सत्ता, संगठन और समाज। जमीनी स्तर पर भाजपा की रणनीति। ज्योतिरादित्य सिंधिया Jyotiraditya Scindia की भूमिका... इन मुद्दों से जुड़े सवालों का जवाब दिया है मध्यप्रदेश MadhyaPradesh भाजपा BJP के प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव Murlidhar Rao ने। उन्होंने पार्टी की आगामी रणनीति पर बेबाकी से बात रखी। बोले, पार्टी के मापदंड पक्के हैं। आने वाले दिनों में जिसे भी पार्टी में रहना है, उन्हें पार्टी के व्याकरण व नीति को समझना होगा। जो समझेंगे, वे ही पार्टी में नेता रहेंगे।
सिंधिया समर्थकों में से जो नेता चुनाव हार गए, उन्हें भी निगम मंडल में स्थान देने के सवाल पर राव ने कहा, पार्टी को सरकार में लाने में उन लोगों ने साहस किया और कुर्बानी दी। हारे हुए व्यक्ति को हमने मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं बनाया है। उन्हें शामिल करना जरूरी लगा, इसलिए किया है, मगर इसका मतलब यह कतई नहीं कि अनंत काल तक यही चलेगा।
लगातार सरकार चलाते-चलाते पुराने ढर्रे में चले जाना सामान्य बात है। क्या आपकी पार्टी भी इससे जूझ रही है?
कई बार ऐसा होता है। जनता की नई उम्मीदें हैं, नई आकांक्षाएं हैं। गवर्नेंस के तौर तरीके भी बदल रहे हैं। तकनीक का इस्तेमाल बहुत बढ़ गया है। इसे देखते हुए एक नया जीवन लेना जरूरी है। इन सभी को मिलाकर जो पैकेज बनता है, वही रोल मॉडल स्टेट है।
तो क्या सिंधिया को पार्टी में लाना कोई कॉम्प्रोमाइज है? पार्टी के सिद्धांतों की कसौटी पर इसे कैसे देखते हैं?
वास्तविकता यह है कि सिंधिया के कारण हम सत्ता में आए, मगर सिद्धांतों से समझौता बिल्कुल नहीं है। प्रदेश में पार्टी का वोट शेयर वर्तमान में 40 फीसदी है और हम इसे 50 फीसदी तक ले जाना चाहते हैं, इसीलिए नए समूहों को जोड़ रहे हैं। जो जुड़ रहे हैं, वे वैचारिक तौर पर भी भाजपा के साथ ही हैं।
और कौन से नए समूहों पर पार्टी की निगाह है? उसके क्या रणनीति बना रहे हैं?
दलित, आदिवासी और महिला- इन तीनों वर्गों को पूरी तरह से पार्टी से जोडऩे की कोशिश कर रहे हैं। इन तीनों वर्गों में स्कोप है। इस दिशा में बीते एक वर्ष में हमने बहुत सारे कदम उठाए हैं। संत रविदास जयंती से अनुसूचित जाति के लिए एक्शन प्लान शुरू करेंगे।
वर्ष 2018 के चुनाव में सत्ता विरोधी लहर Anti-incumbency Factor का सामना पार्टी को करना पड़ा और इस बार भी अधिकांश चेहरे वही हैं। वर्ष 2023 के चुनाव Election में सत्ता विरोधी लहर से कैसे निपटेंगे?
राव : भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बूथ विस्तार अभियान अभी चलाया है। 65000 बूथों (65000 Booth) पर हम वरिष्ठ (Senior Leaders) और युवाओं (Young Generation) के तालमेल से बूथ विस्तार कर रहे हैं। नया नेतृत्व ग्राउंड से निकलेगा।
युवा वर्ग आएगा तो वरिष्ठों को क्या होगा? वे कहां जाएंगे? क्या वे मार्गदर्शन मंडल में चले जाएंगे?
भाजपा BJP में बहुत विकल्प हैं। कोई दिक्कत नहीं है। वरिष्ठों के लिए बहुत अवसर हैं। इसका फ्रेम वर्क तैयार है और सभी को उसमें एडजस्ट करके हम चलते हैं।
प्रभार संभालने के बाद आपने कहा था कि मध्यप्रदेश को भाजपा का मॉडल स्टेट बनाना है। गुजरात और उत्तरप्रदेश कहां छूट गए हैं?
संगठन की दृष्टि से मध्यप्रदेश MadhyaPradesh पार्टी का सबसे पुराना राज्य है। जनसंघ RSS और उसके प्रभाव से सरकार बनाने तक का जो काम यहां हुआ है, वह किसी अन्य राज्य में नहीं है। ग्रोथ स्टोरी बाद की बात है और गुजरात Gujrat उसका उदाहरण हैै। ग्रोथ में ही उत्तरप्रदेश Uttarpradesh तो बाद में जुड़ा है। हिमाचल Himachal Pradesh छोटा राज्य है। राजस्थान Rajasthan में संगठन का उतना विस्तार नहीं हुआ। चुनाव जीतना तो अलग स्टोरी है। विपक्ष की विफलता, चुनावी अंक गणित, वोट बंटना, टिकट बंटना आदि कारणों से चुनाव जीते जा सकते हैं। मगर संगठन का हर गांव-गांव में होना यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। पूरे देश में मध्यप्रदेश में यह सबसे अधिक है।
क्या प्रदेश में सत्ता और संगठन के बीच सबकुछ ठीक चल रहा है?
सबकुछ एकदम सही है। बीते डेढ़ वर्ष से सत्ता और संगठन एक आदर्श स्थिति में काम कर रहे हैं। संगठन के कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री Shivraj Singh Chauhan कार्यकर्ता हैं और प्रशासनिक कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष VD Sharma हमेशा फ्रंट लाइन पर रहते हैं। सब घुलमिलकर काम कर रहे हैं।
मॉडल स्टेट बनाने में कितना काम हुआ? सीनियर नेता इसमें बाधा तो नहीं बन रहे?
यहां लगातार कई वर्षों से हम सत्ता में हैं और हमारा लक्ष्य है कि अगले 25 वर्षों तक दोदलीय इस राज्य में सत्ता में बने रहें, इसीलिए संगठन का मॉडल स्टेट बना रहे हैं। सीनियर नेता हैं और ऐसे कई नेता हैं, जो लगातार चुनाव जीत रहे हैं। लगातार सत्ता में बने रहने से कई बार सोच स्थिर हो जाती है। मगर नई पीढ़ी, नए विचार और नए उत्साह की बहुत जरूरत होती है। इन दोनों के बीच में तालमेल बनाने पर ही पार्टी काम कर रही है। समाज भी नए तरीके से सोच रहा है, उन्हें पार्टी से जोड़े बगैर हम २५ साल आगे तक नहीं चल सकते हैं। इन सभी बिंदुओं पर काम हो रहा है और रोल मॉडल स्टेट बनेगा।
सरकार में नए चेहरे तो कम ही दिखते हैं। सरकार जानेे के बाद फिर से जब सत्ता में आए तो ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके ग्रुप के लोगों को सरकार में दमदारी से लाया गया। तो क्या यह भी रोल मॉडल स्टेट की ओर बढऩे का कदम था?
सिंधिया Jyotiraditya Scindia का पार्टी में आना एक किस्म की शादी Marriage है। इसमें कोई कांट्रेक्ट Contract नहीं था, यह एक मर्जर था। सिंधिया को भी लगता था कि वे भाजपा में रहकर अधिक अच्छा काम कर सकते हैं, इसलिए वे जुड़े। पार्टी की चुनौती यह है कि उन्हें पार्टी में स्वीकार्यता देना।
आपने कहा था 'बनिया-ब्राह्मण हमारी जेब में हैं', क्या नए ग्रुप को जोडऩे से कहीं यह वर्ग आपसे दूर तो नहीं हो जाएगा?
युद्ध, व्यापार और राजनीति (War, Business and Politics) में कई बार लगता है कि डेड एंड आ गया। लेकिन रचनात्मक सोच वाले नेता का लक्षण होता है कि सबके लिए विन-विन (Win-win) स्थिति पैदा करना। भारत आगे तो तभी बढ़ेगा जब सब आगे बढ़ेंगे।
नए वर्गों को जब जोड़ने जाएंगे, तो बात आरक्षण की आती है। आरक्षण का मामला बहुत उलझ चुका है, उससे कैसे निपटेंगे?
संविधान में आरक्षण को लेकर जो व्यवस्था दी है उस पर पार्टी काम कर रही है। जब कुछ मुद्दे आते हैं, तो उसको केंद्र-राज्य और न्यायपालिका मिलकर समाधान तलाशते हैं।
गुना-शिवपुरी सांसद केपी सिंह यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों के प्रति गहरी आपत्ति जताई है। आपका क्या कहना है?
केपी यादव DrKPSinghYadav को मैं जानता हूं लेकिन पार्टी अध्यक्ष JP Nadda व लोकसभा स्पीकर Om Birla को लिखे उनके पत्रों के बारे में मुझे अखबार से ही पता चला। प्रभारी के नाते मुझे केपी यादव ने यह बात नहीं बताई है। भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और विचारधार की पार्टी है, इसके लिए जो भी खड़े हैं वे पार्टी में सुरक्षित हैं। वैसे इतनी बड़ी पार्टी है तो कहीं कुछ सच्चाई है, कुछ गलफहमियां हैं। ऐसे विषयों को पार्टी के अंदर की व्यवस्था से दुरस्त कर लिया जाता है। हम इसे भी ठीक कर लेंगे।
आप दक्षिण के राज्य तेलंगाना Telangana से आते हैं। दक्षिण भारत में आइटी के क्षेत्र में बहुत विकास किया है और मध्यप्रदेश अब तक उस दिशा में बहुत चल नहीं सका है। क्या आप पार्टी और सत्ता के सामने इस बात को रखते हैं?
देखिए, शिक्षा के क्षेत्र में मध्यप्रदेश पीछे रहा है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार आने के बाद प्रदेश में स्थिति बहुत बदली है। कृषि के क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई है। इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है और अब लगता है कि आइटी कंपनियां भी प्रदेश में आएंगी। इसके लिए प्रदेश तैयार है।
Updated on:
07 Feb 2022 01:25 am
Published on:
07 Feb 2022 01:11 am
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