मध्यप्रदेश में कोई बड़ा पद नहीं?
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। विधानसभा चुनाव में जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था लेकिन राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में नाराजगी है। वहीं, लोकसभा चुनाव में खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परांपरिक संसदीय सीट गुना-शिवपुरी से चुनाव हार गए। हार के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगातार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की जा रही है लेकिन अभी तक कांग्रेस की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया था। ऐसे ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी की कई खबरें आईं। हालांकि वो कभी भी नाराज होने की खबरों का समर्थन नहीं किए लेकिन जानकारों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास इस समय कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है जिस कारण से वो अपनी ही पार्टी से नाराज हैं।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी। विधानसभा चुनाव में जीत के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था लेकिन राहुल गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया की जगह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमल नाथ को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। इसके बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे में नाराजगी है। वहीं, लोकसभा चुनाव में खुद ज्योतिरादित्य सिंधिया अपनी परांपरिक संसदीय सीट गुना-शिवपुरी से चुनाव हार गए। हार के बाद से ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगातार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की जा रही है लेकिन अभी तक कांग्रेस की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया था। ऐसे ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी की कई खबरें आईं। हालांकि वो कभी भी नाराज होने की खबरों का समर्थन नहीं किए लेकिन जानकारों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास इस समय कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है जिस कारण से वो अपनी ही पार्टी से नाराज हैं।
समर्थक मंत्रियों को प्राथमिकता नहीं
जून 2019 में कमलनाथ कैबिनेट के कई मंत्रियों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। मोर्चा खोलने वाले मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक थे। जून में हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री कमल नाथ के सामने ही दो मंत्रियों ने हंगामा किया था। हंगामे के बाद से सरकार एक बार फिर से खेमों में बांटी हुई नजर आ रही है। कैबिनेट मीटिंग में सिंधिया खेमे के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और सुखदेव पांसे के विवाद पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हस्ताक्षेप किया था। सिंधिया खेमे के एक मंत्री ने पूरा घटनाक्रम ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोबाइल ऑन रखकर सुनाया था। इस दौरान कमलनाथ ने सिंधिया खेमे के मंत्री से ये भी कहा था कि आप यहां से जाइए आपको रोका किसने है। मुझे पता है यह किसके इशारे पर कर रहे हैं। वहीं, सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने कई बार आरोप लगाया कि प्रदेश के आधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने तो यहां तक कह दिया था कि हमारे विभाग के अधिकारियों का तबादला हो जाता है और हमें पूछा भी नहीं जाता है।
जून 2019 में कमलनाथ कैबिनेट के कई मंत्रियों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। मोर्चा खोलने वाले मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक थे। जून में हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री कमल नाथ के सामने ही दो मंत्रियों ने हंगामा किया था। हंगामे के बाद से सरकार एक बार फिर से खेमों में बांटी हुई नजर आ रही है। कैबिनेट मीटिंग में सिंधिया खेमे के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर और सुखदेव पांसे के विवाद पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हस्ताक्षेप किया था। सिंधिया खेमे के एक मंत्री ने पूरा घटनाक्रम ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोबाइल ऑन रखकर सुनाया था। इस दौरान कमलनाथ ने सिंधिया खेमे के मंत्री से ये भी कहा था कि आप यहां से जाइए आपको रोका किसने है। मुझे पता है यह किसके इशारे पर कर रहे हैं। वहीं, सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने कई बार आरोप लगाया कि प्रदेश के आधिकारी उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी ने तो यहां तक कह दिया था कि हमारे विभाग के अधिकारियों का तबादला हो जाता है और हमें पूछा भी नहीं जाता है।
दिग्विजय सिंह की सरकार में सक्रियता
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही दिग्विजय सिंह सक्रिय हैं। मंत्रियों के शपथ के बाद दिग्विजय सिंह कमलनाथ के साथ सभी मंत्रियों के साथ कैबिनेट बैठक करते नजर आए थे। ये फोटो सोशल मीडिया में भी जमकर वायरल हुआ था। वहीं, मध्यप्रदेश सरकार के कई कार्यक्रमों में दिग्विजय सिंह मौजूद रहते हैं जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को किसी भी सरकारी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी केवल ग्वालियर-चंबल क्षेत्र तक ही सीमित हैं। जबकि दिग्विजय सिंह का कामलनाथ की सरकार में पूरा दखल है। हाल ही में कमल नाथ के मंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा था कि दिग्विजय सिंह को लेटर लिखने की जरूरत नहीं है वो खुद पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं। वहीं, उन्होंने ये भी कहा था कि दिग्विजय सिंह, कमल नाथ के कामों में भी हस्ताक्षेप करते हैं। इस विवाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दखल दिया था।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही दिग्विजय सिंह सक्रिय हैं। मंत्रियों के शपथ के बाद दिग्विजय सिंह कमलनाथ के साथ सभी मंत्रियों के साथ कैबिनेट बैठक करते नजर आए थे। ये फोटो सोशल मीडिया में भी जमकर वायरल हुआ था। वहीं, मध्यप्रदेश सरकार के कई कार्यक्रमों में दिग्विजय सिंह मौजूद रहते हैं जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को किसी भी सरकारी कार्यक्रम में नहीं बुलाया जा रहा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी केवल ग्वालियर-चंबल क्षेत्र तक ही सीमित हैं। जबकि दिग्विजय सिंह का कामलनाथ की सरकार में पूरा दखल है। हाल ही में कमल नाथ के मंत्री उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा था कि दिग्विजय सिंह को लेटर लिखने की जरूरत नहीं है वो खुद पर्दे के पीछे से सरकार चला रहे हैं। वहीं, उन्होंने ये भी कहा था कि दिग्विजय सिंह, कमल नाथ के कामों में भी हस्ताक्षेप करते हैं। इस विवाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी दखल दिया था।
केन्द्रीय नेतृत्व ने भी बनाई दूरी
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का समर्थन किया था। इस समर्थन के बाद पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से दूरी बना ली थी। वहींस राहुल गांधी के इस्तीफा देने और सोनिया गांधी के अंतिरम अध्यक्ष बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया केन्द्रीय नेतृत्व में भी अकेले पड़ गए थे। सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद से ज्योतिरादित्य की जगह कमल नाथ और दिग्विजय सिंह का कद प्रदेश के साथ-साथ पार्टी के फैसलों पर भी बढ़ गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और सोनिया गांधी के बीच मुलाकात के लिए तारीख तय की गई थी लेकिन सोनिया गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात नहीं की थी। ऐसा कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात सोनिया गांधी से कमल नाथ ने कराई। ज्योतिरादित्य और सोनिया की अकेले में कोई मुलाकात भी नहीं हो सकी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का समर्थन किया था। इस समर्थन के बाद पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से दूरी बना ली थी। वहींस राहुल गांधी के इस्तीफा देने और सोनिया गांधी के अंतिरम अध्यक्ष बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया केन्द्रीय नेतृत्व में भी अकेले पड़ गए थे। सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष बनने के बाद से ज्योतिरादित्य की जगह कमल नाथ और दिग्विजय सिंह का कद प्रदेश के साथ-साथ पार्टी के फैसलों पर भी बढ़ गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और सोनिया गांधी के बीच मुलाकात के लिए तारीख तय की गई थी लेकिन सोनिया गांधी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात नहीं की थी। ऐसा कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात सोनिया गांधी से कमल नाथ ने कराई। ज्योतिरादित्य और सोनिया की अकेले में कोई मुलाकात भी नहीं हो सकी।
किसान कर्जमाफी पर नाराजगी
ज्योतिरादित्य सिंधिया किसानों की कर्जमाफी को लेकर भी नाराज हैं। कमल नाथ सरकार के खिलाफ हमला बोलते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि हमने2 लाख रुपए तक के किसान माफी का वादा किया ता लेकिन किसानों का कर्जमाफ नहीं हुआ। किसानों का केलव 50 हजार रुपए का ही कर्जमाफ हुआ है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया किसानों की कर्जमाफी को लेकर भी नाराज हैं। कमल नाथ सरकार के खिलाफ हमला बोलते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि हमने2 लाख रुपए तक के किसान माफी का वादा किया ता लेकिन किसानों का कर्जमाफ नहीं हुआ। किसानों का केलव 50 हजार रुपए का ही कर्जमाफ हुआ है।