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इस बार अचूक रहा कमलनाथ का निशाना, सिंधिया की वापसी अब मुश्किल !

locationभोपालPublished: Oct 25, 2019 03:39:53 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

ज्योतिरादित्य सिंधिया मध्यप्रदेश में सक्रिय हैं पर उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं है।

इस बार अचूक रहा कमलनाथ का निशाना, सिंधिया की वापसी अब मुश्किल !

इस बार अचूक रहा कमलनाथ का निशाना, सिंधिया की वापसी अब मुश्किल !

भोपाल. झाबुआ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई है। उपचुनाव में जीत के साथ ही कांग्रेस पूर्ण बहुमत के जादुई आंकड़े के पास पहुंच गई है। कांग्रेस की जीत के साथ ही भाजपा के सारे दावे फेल हो गए हैं, 10 महीने का शासन काल 15 सालों के शासनकाल पर भारी पड़ा है। इस जीत के साथ ही मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कई और गुत्थियों को भी सुलझा दिया है। मध्यप्रदेश में नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर कांग्रेस में लंबे समय से सियासी अटकलें और गुटबाजी की खबरें आ रही हैं। कमलनाथ भी कई बार नए प्रदेश अध्यक्ष की मांग कर चुके हैं।
कमल नाथ का सियासी दांव
कांतिलाल भूरिया को जब झाबुआ उपचुनाव के लिए टिकट मिला तो सोशल मीडिया में कई तरह के पोस्ट वायरल हुए थे। कांतिलाल की जीत के बाद कहा गया कि वो मध्यप्रदेश के डिप्टी सीएम या फिर कैबिनेट मंत्री बनेंगे। लेकिन जानकारों का कहना है कि कमलनाथ सियासत के मझे हुए खिलाड़ी हैं वो इतना जल्दी कोई निर्णय नहीं लेंगे। कमल नाथ मध्यप्रदेश में आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष की मांग कर रहे हैं। कांतिलाल भूरिया मध्यप्रदेश के बड़े आदिवासी नेता हैं। ऐसे में कमलनाथ झाबुआ में जीत के बाद कांतिलाल भूरिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की सिफारिश कांग्रेस अलाकमान से कर सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि कमलनाथ अगर मंत्रिमंडल का गठन करते हैं निर्दलीय विधायक, बसपा की रामबाई नाराज हो सकती हैं और कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता भी हैं जो मंत्री नहीं बनने से नाराज थे अगर इस बार उन्हें मंत्रालय नहीं मिलता है तो वो सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। दूसरी वजह हैं खुद कांतिलाल भूरिया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांतिलाल भूरिया का कद प्रदेश की राजनीति में बड़ा है, वो मनमोहन सरकार में कमलनाथ के साथ कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। ऐसे में कमलनाथ अपने एक समकक्ष नेता को अपने कैबिनेट में शामिल करने के जगह उनके नाम की सिफारिश प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर कर सकते हैं। कांतिलाल भूरिया के नाम पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को भी आपत्ति नहीं होगी। कांतिलाल भूरिया कमलनाथ और दिग्विजय दोनों के ही करीबी हैं।
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सिंघार का भी विकल्प
कमलनाथ सरकार के मंत्री उमंग सिंघार ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह पर खुला हमला बोला था। उमंग सिंघार प्रदेश के बड़े आदिवासी नेताओं में से एक हैं। ऐसे में अगर कांतिलाल भूरिया का नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए बढ़ाया जाता है तो आदिवासी नेता उमंग सिंघार भी विरोध नहीं कर पाएंगे।
आदिवासी प्रदेश अध्यक्ष क्यों चाहते हैं कमल नाथ
मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष के लिए आदिवासी चेहरा चाहते हैं। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सबसे ज्यादा आदिवासी इलाके में जीत दर्ज की थी। जबकि लोकसभा में पार्टी आदिवासी इलाकों में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। ऐसे में कमलनाथ आदिवासियों की नाराजगी दूर करने के लिए आदिवासी चेहरे पर दांव लगाना चाहते हैं।
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सिंधिया ने नहीं किया था प्रचार
झाबुआ उपचुनाव को लेकर खुद मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मोर्चा संभाला था। उन्होंने यहां रोड शो और जनसभाएं भी की थीं। लेकिन इश दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया नदारद थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने झाबुआ उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार नहीं किया था।
सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग
कमल नाथ कैबिनेट में सिंधिया खेमे के मंत्रियों ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग लगातार कर रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कई बार कमल नाथ सरकार पर हमला बोल चुके हैं। कमल नाथ के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब सिंधिया खेमे का समर्थन प्राप्त करने की होगी। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया कह चुके हैं कि प्रदेश अध्यक्ष को लेकर जो भी फैसला होगा उन्हें स्वीकार है।

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