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भोपाल। शिवराज सरकार ने पिछली कमलनाथ सरकार के गौशाला मॉडल को पलट दिया है। कमलनाथ सरकार ने गौशालाओं को सरकारी खर्च व संचालन के जरिए ही चलाना तय किया था, लेकिन अब शिवराज सरकार ने सरकारी गौशालाओं को भी निजी सहयोग व संचालन के जरिए चलाना तय किया है। इसके लिए नियमावली तैयार होगी, जिसके आधार पर सरकारी गौशालाओं को निजी व्यक्ति या संस्था को देकर संचालित कराया जाएगा।
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दरअसल, गाय और गौशाला सामाजिक पहलू के साथ सियासी पहलू भी है। पंद्रह साल की भाजपा सरकार के बाद जब २०१८ में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार आई, तो उसने गौशाला को प्राथमिकता पर रखा था। तब, तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने बार बार ये मुददा उठाया कि पिछली शिवराज सरकार ने सरकारी गौशालाएं नहीं खोली। इसके बाद कमलनाथ सरकार ने पहले एक हजार और फिर दूसरे चरण में चार हजार सरकारी गौशालाएं खोलना तय किया। इन दोनों चरणों पर काम भी हुआ। इसमें पूरा फोकस सरकारी खर्च से सरकारी गौशाला संचालित करने का था, लेकिन कुछ मामलों में कमलनाथ सरकार भी इस मॉडल को अपग्रेड करने लगी थी। कमलनाथ सरकार ने आगरमालवा के गौ अभ्यारण्य को निजी हाथों में सौंपने के लिए कदम बढाए थे। उसके बाद कमलनाथ अपना गौशाला मॉडल निजी सेक्टर के रूप में अपग्रेड कर पाते, उसके पहले ही कमलनाथ सरकार गिर गई और वापस भाजपा की शिवराज सरकार आ गई। शिवराज सरकार ने अब डेढ साल बाद इसमें बदलाव करना तय किया है। इसके तहत शिवराज सरकार ने सरकारी गौशाला को भी निजी व्यक्ति, एनजीओ सहित अन्य संस्थाओं के सहयोग से संचालित करना तय किया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इसके निर्देश दे दिए हैं। इसके तहत नियमावली बनाकर अच्छा काम करने वाले स्व सहायता समूहों व अन्य संस्थाओं को गौशाला दी जा सकती है। इससे कमलनाथ सरकार का पूरा मॉडल बदल गया है।
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मुख्य वजह आर्थिक-
कोरोना संकट के कारण पिछले दो साल से आर्थिक मोर्चे पर सरकार दिक्कत में हैं। कोरोना के कारण अर्थ व्यवस्था प्रभावित हुई है। राजस्व घटा है। उस पर केंद्र से मिलने वाली आर्थिक मदद भी कम हुई है। इस कारण सरकार हर स्तर पर निजी सहयोग को अपनाकर काम करने की राह पर है। इसी कडी में गौशाला मॉडल को भी अपग्रेड किया जा रहा है।
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Published on:
21 Nov 2021 08:29 pm
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