
हेमाराम का दावा, जालौर और करौली के वन क्षेत्र में नहीं आई कमी
भोपाल. आदिवासी जनसमुदाय की तरह ही मध्यप्रदेश की वन संपदा भी आकार—प्रकार में विराट रूप लिए हुए है। प्रदेश की कुल जमीन के 25.1 प्रतिशत यानी 77 हजार 482 वर्ग किमी पर जंगल मौजूद है। इन जंगलों के भी 21 प्रकार हैं। करीब 6 हजार 676 वर्ग किमी पर तो अति सघन वन है। अच्छी बात यह है कि वन भूमि में बढ़ोत्तरी भी दर्ज की गई है। वर्ष 2017—19 के दौरान राज्य की वन भूमि 68 वर्ग किमी अधिक हो गई है।
राज्य के 52 में से 21 जिले आदिवासी बहुल हैं और इन्हीं जिलों में जंगल की जमीन सर्वाधिक है। बालाघाट और श्योपुर जिलों में तो उनके कुल क्षेत्रफल का आधा से ज्यादा जंगलों से पटा हुआ है। डिंडोरी, मंडला, सीधी और उमरिया में उनके भौगोलिक क्षेत्रफल के 40 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र वन हैं। खास यह भी है कि इन्हीं छह जिलों में एक राष्ट्रीय उद्यान और तीन टायगर रिजर्व स्थित हैं।
वन्य प्राणियों के लिए बड़ा भूखण्ड
राज्य शासन ने अब तक 11 राष्ट्रीय उद्यानों और 24 वन्यप्राणी अभयारण्यों को अधिसूचित किया है। कुल अधिसूचित संरक्षित क्षेत्र 11 हजार 393 वर्ग किमी से अधिक में अधिसूचित संरक्षित क्षेत्र है। इसमें से 4 हजार 773 वर्ग किमी में टायगर रिजर्व कोर (क्रिटिकल बाघ रहवास) क्षेत्र मौजूद है।
Fact About Madhya pradesh Forest
झाड़ी क्षेत्र : 1.95 प्रतिशत
अत्यन्त सघन वन : 2.17 प्रतिशत
सामान्य सघन वन : 11.14 प्रतिशत
खुले वन : 11.83 प्रतिशत
गैर वन क्षेत्र : 72.91 प्रतिशत
(सभी तथ्य विधानसभा में 15 सितंबर 2022 को जारी कैग रिपोर्ट से)
Published on:
14 Dec 2022 06:54 pm
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