मध्‍यप्रदेश में खाद के लिए किसान परेशान हो रहे हैं। यूरिया लेने के लिए केंद्रों पर लंबी लाइनें लग रहीं हैं और घंटों तक इंतजार करने के बाद भी अधिकांश किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। सबसे बुरी बात तो यह है कि यह दिक्कत और बढ़ सकती है। दरअसल मौसम विभाग ने मावठा गिरने का अनुमान व्यक्त किया है। बारिश होते ही यूरिया की डिमांड तेजी से बढ़ेगी।
भोपाल। मध्यप्रदेश में खाद के लिए किसान परेशान हो रहे हैं। यूरिया लेने के लिए केंद्रों पर लंबी लाइनें लग रहीं हैं और घंटों तक इंतजार करने के बाद भी अधिकांश किसानों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। सबसे बुरी बात तो यह है कि यह दिक्कत और बढ़ सकती है। दरअसल मौसम विभाग ने मावठा गिरने का अनुमान व्यक्त किया है। बारिश होते ही यूरिया की डिमांड तेजी से बढ़ेगी।
कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक अप्रैल से अब तक प्रदेश को 28.68 लाख मीट्रिक टन यूरिया मिल चुका है। इसमें से 23.20 लाख टन यूरिया बिक भी चुका है। अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में अभी पांच लाख टन यूरिया उपलब्ध है। उनका यह भी कहना है कि नवंबर में ही प्रदेश को दो लाख टन यूरिया और मिल रहा है। 14.50 लाख टन डीएपी में से किसानों को 13 लाख टन दिया जा चुका है। 5.66 लाख टन एनपीके में से 3.91 लाख टन किसानों को दिया जा चुका है।
मौसम विभाग ने तीन—चार दिनों में मावठा की संभावना व्यक्त की है। मावठा गिरने के बाद यूरिया की मांग तेजी से बढ़ेगी। इससे किसानों की दिक्कत बढ़ सकती है।
प्रदेश में इस बार रबी फसलों की बोवनी पिछले वर्ष से 5.33 प्रतिशत अधिक हो चुकी है। राज्य में अभी तक 81 लाख 71 हजार हेक्टेयर में बोवनी हुई है। उज्जैन में 90 प्रतिशत और इंदौर में 78 प्रतिशत बोवनी हो चुकी है।
प्रदेश में ये है खाद की बिक्री व्यवस्था
नकद में बिक्री के लिए राज्य सहकारी विपणन संघ के 422 केंद्र
विपणन सहकारी समितियों के 154 विक्रय केंद्र
निजी विक्रेता— आठ हजार