30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लोकसभा चुनाव में हार के बाद कभी मोतीलाल वोरा को भी छोड़नी पड़ी थी सीएम की कुर्सी, जानें Motilal की अनसुनी कहानियां

जानिए, किससे मोतीलाल वोरा अर्जुन सिंह की कैबिनेट में मंत्री बनने के लिए कर रहे थे पैरवी, लेकिन उन्हें मिल गई सीएम पद की कुर्सी

5 min read
Google source verification
Congress Interim President Motilal Vora

Congress Interim President Motilal Vora

भोपाल. कांग्रेस ( Congress ) के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश ( madhya pradesh ) के दो बार मुख्यमंत्री रहे मोतीलाल वोरा ( Motilal Vora ) को राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) के इस्तीफे के बाद कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष ( Congress Interim President ) बनाया गया है। 91 साल के मोतीलाल वोरा की राजनीतिक सफर भी बहुत दिलचस्प है। कांग्रेस की कमान उन्हें बिल्कुल वैसे ही हालात में सौंपे गए हैं, जिस वजह से उन्हें कभी सीएम की कुर्सी से बेदखल होना पड़ा था। आइए आपको बताते हैं मोतीलाल वोरा की ऐसी ही अनसुनी कहानियां...

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद मोतीलाल वोरा अंतरिम अध्यक्ष बने हैं। वोरा कांग्रेस के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं। गांधी परिवार के विश्वसनीय और करीबी लोगों में से एक हैं। इंदिरा गांधी के समय से ही मोतीलाल वोरा की दिल्ली दरबार में पकड़ अच्छी है। वो छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद हैं। लेकिन वोरा कह रहे हैं कि अभी हमें इस बात की कोई जानकारी नहीं हैं। मैं फिर से चाहूंगा कि राहुल गांधी ही कांग्रेस अध्यक्ष बने रहें।

दो बार रहे हैं एमपी के सीएम
मोतीलाल वोरा मध्यप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं। उनके मुख्यमंत्री बनने के किस्से भी बहुत ही रोचक है। लेकिन उससे पहले ये जान लेते हैं कि वे कब-कब मुख्यमंत्री रहे। मोतीलाल वोरा सीएम बनने से पहले अर्जुन सिंह के कैबिनेट में मंत्री भी रहे हैं। मोतीलाल वोरा पहली बार 13 मार्च 1985 को सीएम बने। उनका कार्यकाल 13 फरवरी 1988 तक रहा है। इसके बाद अर्जुन सिंह सीएम बन गए। मोतीलाल वोरा 25 जनवरी 1989 को दोबारा सीएम बने। लेकिन इनका ये कार्यकाल ग्यारह महीने का ही रहा। 8 दिसंबर 1989 को इन्हें सीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी।

ऐसे हुआ बदलाव
दरअसल, 1985 में विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद अर्जुन सिंह ने नौ मार्च को सीएम पद की शपथ ले ली। दस मार्च को अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल की सूची लेकर राजीव गांधी के पास मंजूरी के लिए गए। लेकिन राजीव ( Rajiv Gandhi ) ने ठान लिया था कि अर्जुन को प्रदेश की राजनीति से दूर करना है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा दिया कि आपको पंजाब का राज्यपाल बनाया गया है। अपनी पसंद के सीएम और प्रदेश अध्यक्ष का नाम बताकर 14 मार्च को पंजाब पहुंच जाओ।

इसे भी पढ़ें: 90 साल के मोतीलाल वोरा होंगे कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष, रह चुके हैं एमपी के चीफ मिनिस्टर

मंत्री पद के लिए कर रहे थे पैरवी
उसके बाद अर्जुन सिंह कमरे से बाहर निकल अपने बेटे अजय सिंह को फोन कर कहा कि मैं विमान भेज रहा हूं। इसी विमान से मोतीलाल वोरा को दिल्ली लेकर आओ। वोरा को कुछ समझ में नहीं आया और अजय सिंह के साथ दिल्ली के लिए रवाना हो गए। रास्ते में वह अर्जुन सिंह की कैबिनेट में जगह के लिए अजय सिंह से सिफारिश कर रहे थे। लेकिन दिल्ली में रूस दौरे पर जा रहे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से जब पालम एयरपोर्ट पर उनकी मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा दिया कि अब आप मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। उस वक्त मोतीलाल वोरा, अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह वहां मौजूद थे।

मोतीलाल वोरा उस वक्त मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे। उनके सीएम बनने के बाद दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बने। इसके साथ ही अर्जुन सिंह कुछ वर्षों के लिए मध्यप्रदेश की राजनीति से दूर हो गए।

इसे भी पढ़ें: मोदी के बाउंसर से लल्ला हुए 'बोल्ड' और पापा 'चोटिल', 'थर्ड अंपायर' के पास पेंडिंग है डिसीजन


वोरा कैबिनेट में अर्जुन खेमे के बने मंत्री
मोतीलाल वोरा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भले ही बन गए थे। लेकिन मंत्रिमंडल में वो अपनी पसंद के लोगों को नहीं शामिल कर पाए। वोरा कैबिनेट में अऱ्जुन सिंह के पसंद के ही शामिल हुए। कुछ तो वैसे लोगों को जगह मिली जिन्हें मोतीलाल वोरा खुद पसंद नहीं करते थे। लेकिन इसके साथ ही मध्यप्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी भी बढ़ गई थी।

अर्जुन लौटे तो वोरा की चली गई कुर्सी
तीन साल के वनवास के बाद मध्यप्रदेश की राजनीति में अर्जुन सिंह की फिर से वापसी हो गई। मध्यप्रदेश में वे लौटे तो फिर से सीएम बनकर और मोतीलाल वोरा दिल्ली की राजनीति में शिफ्ट हो गए। राजीव गांधी ने उन्हें अपनी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री बना दिया।

दोबारा मिल गई सीएम की कुर्सी
अर्जुन सिंह मध्यप्रदेश में सीएम की कुर्सी पर काबिज थे। लेकिन किस्मत तो मोतीलाल वोरा पर मेहरबान थी। चुरहट लॉटरी कांड में अर्जुन सिंह का नाम आया तो उन्हें सीएम पद की कुर्सी छोड़नी पड़ी और वोरा मध्यप्रदेश के दोबारा सीएम बन गए।

इसे भी पढ़ें: इंजीनियर के घर में था सोने का 'गोदाम', देखिए मध्यप्रदेश की ऐसी ही 4 बड़ी खबरें

हार के बाद देना पड़ा इस्तीफा
देश में 1989 में लोकसभा चुनाव था। मोतीलाल वोरा और माधवराव सिंधिया की जोड़ी प्रदेश में धुंआधार प्रचार कर रही थी। लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस को 40 में से सिर्फ 7 सीटें मिलीं। 27 सीटें बीजेपी जीत गई। देश के अन्य राज्यों में भी कांग्रेस चुनाव हारी थी। चार राज्यों के सीएम को कुर्सी छोड़नी पड़ी, उसमें मोतीलाल वोरा भी नप गए। उनके बाद विद्याचरण शुक्ल को सीएम बनाया गया।

डिरेल हो गई थी 'मोतीलाल-सिंधिया एक्सप्रेस'
दरअसल, 1989 में जब मोतीलाल वोरा दोबारा सीएम बने थे। तब कुछ ही महीनों में लोकसभा के चुनाव होने थे। चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद मोतीलाल वोरा और माधवराव सिंधिया की जोड़ी प्रदेश में खूब प्रचार कर रही थी। इसलिए लोगों ने इस जोड़ी का नाम 'मोतीलाल-सिंधिया एक्सप्रेस' रख दिया था। लेकिन जब लोकसभा चुनाव के नतीजे आएं तो 'मोतीलाल-सिंधिया एक्सप्रेस' डिरेल हो गई।