- राज्यपाल ने विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति का त्यागपत्र किया नामंजूर, बोले निर्भीक होकर करें काम - परिसर में कुछ छात्रों की उदंडता और राजनीतिक दखल से थे परेशान
भोपाल। राज्यपाल लालजी टंडन ने विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बालकृष्ण शर्मा का त्यागपत्र नामंजूर कर दिया है। विश्वविद्यालय काम-काज में राजनीतिक दखल, छात्रों की उदंडता से परेशान होकर उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा भेज दिया था। इस्तीफा मिलते ही राज्यपाल टंडन ने उन्हें गुरुवार को राजभवन बुलाया था।
राजभवन पहुंचे प्रो. शर्मा ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों से उन्हें अवगत कराया। साथ ही यह भी बताया कि मौजूदा व्यवस्था में वे काम करने में अपने आपको असमर्थ महसूस कर रहे हैं। छात्रों की उदंडता बढ़ी है। अभद्र व्यवहार भी किया जा रहा है। कुछ लोग उन्हें शह दे रहे हैं। एेसे में शैक्षणिक गतिविधियों को संचालित करने में असुविधा हो रही है।
राज्यपाल ने निर्देश दिए कि अभद्र व्यवहार और उदंडता करने वालों के खिलाफ सख्त कारवाई की जाए। विश्वविद्यालय में अनुशासन बनाए रखने का दायित्व कुलपति का है, वे अपने अधिकारों का भरपूर उपयोग करें। उन्होंने भरोसा दिलाया कि कुलपति के न्याय संगत कार्यों को राजभवन से पूरा सहयोग मिलेगा। साथ ही राज्यपाल ने उन्हें कुलपति पद पर काम करते रहने के निर्देश दिए।
धारा 52 के चलते हुई थी नियुक्ति —
प्रो. बालकृष्ण शर्मा को विश्वविद्यालय में धारा 52 लगाए जाने के कारण हुई थी; बता दें कि डॉ. बालकृष्ण शर्मा 7 फरवरी को पूर्व कुलपति प्रो. एसएस पाण्डे के इस्तीफा देने के बाद प्रभारी कुलपति बनाए गए थे। इसके कुछ दिन बाद ही 15 फरवरी को उच्च शिक्षा विभाग ने विवि में धारा 52 लगा दी।
इसके प्रभावी होने के साथ ही नए कुलपति के चयन की प्रक्रिया शुरू हुई। इसमें करीब एक माह का समय लग गया। इसी बीच प्रभारी कुलपति बालकृष्ण शर्मा करीब 15 दिन की छुट्टी लेकर चले गए और जब वे गुरुवार को लौटे तो उनके हाथ में धारा 52 के तहत स्थाई कुलपति बनाए जाने का आदेश था।