ऐसे में सोमवार से रंग बिरंगी रोशनी से पूरा शहर जगमग दिखने लगा है। इसके साथ ही माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और उन्हें मनाने के लिए हर तरफ उत्साह उमंग दिखाई दे रहा है। खासकर बाजारों में खरीदारी को लेकर भीड़ उमड़ी पड़ी है।
इस पर्व के तीसरे दिन यानि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी का विधि विधा से पूजन किया जाता है। माता को प्रसन्न करने के लिए मंत्रोच्चार के बाद माता की आरती पूजन की जाती है। वहीं बिना आरती के माता का पूजन अधूरा होता है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार आरती यदि विधि विधान से की जाए तो माता अवश्य प्रसन्न होती हैं। साथ ही वे पूजन करने वाले को सुख समृद्धि का आशीष भी देती हैं। इसलिए पूजन विधान के बाद माता की आरती आवश्यक है। आरती करने से पहले यह मंत्र अवश्य बोलना चाहिए –
या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥ शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
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