भोपाल। खुशी इंसान की बुनियादी जरूरत है। चेतन प्राणियों में मनुष्य को ही हंसने की विरासत मिली है। रिसर्च में यह स्पष्ट हुआ कि बच्चा गर्भ में भी हंसता है। एक बच्चा दिन में लगभग 400 बार, एक युवा 17 बार और एक वयस्क दो बार हंसाता है। उलझनों के चलते हमारी हंसी गायब हो गई है। इससे हम बीमार हो रहे हैं। यह बात पूर्व प्रमुख सचिव मप्र विधान सभा भगवानदेव इसरानी ने कही। वे आईईएस में पत्रिका की ओर से आयोजित 'लाफ्टर क्लब' में बच्चों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि खुशमिजाज व्यक्ति को हर कोई पसंद करता है। व्यक्ति जितना हंसमुख होता है, उसके सामाजिक संबंध उतने ही मजबूत होते हैं।