20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

250 साल से मालवा का प्रभावी मंच है माच

माच तो वैसे रात भर खेला जाता है, लेकिन इसे छोटा कर दो घंटे का किया गया। वरिष्ठ रंगकर्मी राजेंद्र अवस्थी ने बताया आखिर क्या है माच शैली, आप भी जानें...

2 min read
Google source verification

image

sanjana kumar

Sep 01, 2016

Mach is the effective platform, Folk Art malwa,bpl

Mach is the effective platform, Folk Art malwa,bpl

भोपाल। रवीन्द्र भवन में बुधवार को गाथा नाट्य 'लोक व्याख्यानों पर आधारित 'राजा रिसालू' का माच शैली में नाट्य मंचन किया गया। इसका निर्दशन पंडित ओमप्रकाश शर्मा ने किया। ये काल्पनिक प्रेम कथा है। मालवा में जिस राजा की बड़ी सेना, वर्चस्व, बुद्धिमान, बलसाली होता है उसे रिसायू कहा जाता है। माच तो वैसे रात भर खेला जाता है, लेकिन इसे छोटा कर दो घंटे का किया गया। इसमें 14 कलाकारों ने प्रस्तुति दी। वरिष्ठ रंगकर्मी राजेंद्र अवस्थी ने बताया आखिर क्या है माच शैली, आप भी जानें...

भारत के विभिन्न अचलों में बोली जाने वाली लोक-भाषाएं राष्ट्रभाषा की समृद्धि का प्रमाण हैं। लोक-भाषाएं और उनका साहित्य वस्तुत: भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्रवाणी के लिए अक्षय स्रोत हैं। हम इनका जिनता मंथन करें, उतने ही अमूल्य रत्न हमें मिलते रहेंगे। यह कहना है वरिष्ठ रंगकर्मी राजेंद्र अवस्थी का।

अपने घर में ही बोलियां हुई पराई

वे कहते हैं कि आधुनिकता के दौर में हम अपनी बोली-बानी, साहित्य संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं। ऐसे समय में जितना विस्थापन लोगों और समुदायों का हो रहा है। उतना ही लोक-भाषा और लोक- साहित्य का हो रहा है। घर-आंगन की बोलियां अपने ही परिवेश में पराई होने का दर्द झेल रही हैं। इस दिशा में लोकभाषा, साहित्य और संस्कृति प्रेमियों के समग्र प्रयासों की दरकार है।

अभिव्यक्ति हैं ये माध्यम

भारत के हृदय अंचल मालवा ने तो एक तरह से समूची भारतीय संस्कृति को गागर में सागर की तरह समाया है। मालवा लोक-साहित्य की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यहां का लोकमानस शताब्दी-दर-शताब्दी कथा-वार्ता, गाथा, गीत, नाट्य, पहेली, आदि के माध्यम से अभिव्यक्ति पाता आ रहा है। भारतीय लोक-नाट्य परंपरा में मालवा के माच का विशिष्ट स्थान है, जो अपनी सुदीर्घ परम्परा के साथ आज भी लोक मानस का प्रभावी मंच बना हुआ हैं। मालवा के लोकगीतों, लोक-कथाओं, लोक-नृत्य रूपों और लोक-संगीत के समावेश से समृद्ध माच सम्पूर्ण नाट्य (टोटल थियेटर) की सम्भावनाओं को मूर्त करता है।

ये भी पढ़ें

image