केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिग्विजय और सिंधिया के नामों को मंजूर कर दिया है। दिग्विजय की सहमति के बाद यह मंजूरी दी गई है। वहीं सिंधिया गुना से चुनाव लड़ेंगे। इसके विपरीत एक दर्जन सीटों पर रस्साकशी के नौबत है।
कुछ सीटों पर नए नाम उभर आए हैं, जिसके चलते पहले जिन नामों को सिंगल पैनल में रखा गया था उनमें बदलाव हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक इसमें सतना सीट से पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह का नाम शामिल है। पूर्व में इनका पैनल में सिंगल नाम तय था, लेकिन अब इन्हें फिलहाल होल्ड कर दिया गया है। जबकि, सीधी पर पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का नाम सिंगल पैनल में फायनल है।
इन 12 सीटों पर खींचतान
शुक्रवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में कुछ सीटों पर सिंगल नाम कर दिए गए, लेकिन मंजूरी नहीं दी गई। मंडला सीट पर कमल मरावी और धार से गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी के नाम सिंगल पैनल में हैं, किंतु फिलहाल इन्हें मंजूरी नहीं दी गई। इसी तरह सतना सीट पर राजेंद्र सिंह का नाम ऐन मौके पर उलझा है। इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, विदिशा, भिंड, दमोह, होशंगाबाद, खरगौन व उज्जैन सीट पर भारी खींचतान है। फिलहाल इन सीटों पर एक से अधिक नामों को लेकर विचार विमर्श हो रहा है। इसलिए इन सीटों के नाम कांग्रेस बाद में घोषित करने की रणनीति अपना सकती है।
इन 17 सीटों पर सहमति
भोपाल व गुना के अलावा फिलहाल चुनिंदा सीटों पर हरी झंडी दी गई है। सूत्रों के मुताबिक इसमें खंडवा सीट से अरुण यादव, सीधी से अजय सिंह, छिंदवाड़ा से नकुल नाथ, रतलाम-झाबुआ से कांतिलाल भूरिया, मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन, शहडोल से प्रमिला सिंह, बालाघाट से मधु भगत, रीवा से सिद्धार्थ तिवारी, मुरैना से रामनिवास रावत, बैतूल से रामू टेकाम, खजुराहो से कविता सिंह, राजगढ़ से पुरुषोत्तम दांगी टीकमगढ़ से किरण अहिरवार, देवास से प्रहलाद टिपानिया और सागर से प्रभु सिंह ठाकुर का नाम शामिल हैं। इनमें इक्का-दुक्का नाम बढ़ाए या घटाए जा सकते हैं। इनके नामों की घोषणा शनिवार को हो सकती है।
वीडी समर्थक बोले, संजर भी तो कानपुर के हैं
भोपाल लोकसभा सीट पर भाजपा में स्थानीय और बाहरी दावेदारों के बीच जंग छिड़ गई है। स्थानीय दावेदारों के लामबंद होने के बाद अब वीडी शर्मा के समर्थक भी मैदान में उतर आए हैं।
भोपाल के पूर्व पार्षद
किशन सूर्यवंशी ने फेसबुक पर पोस्ट लिख कर सवाल उठाया है कि भोपाल को सिर्फ योग्य सासंद चाहिए। अगर बाहरी उम्मीदवार की बात हो रही है आलोक संजर खुद कानपुर के हैं। किशन ने लिखा है कि बाहरी का विरोध करके एक तरह से खुद संजर ने अपना ही विरोध कर लिया है। इस पोस्ट पर भाजपा के कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर लंबी बहस की है। सूर्यवंशी ने यह भी लिखा है कि भाजपा एक परिवार है। वैसे वाराणसी के बारे में विरोधिया का क्या विचार है।
मेरा जन्म भोपाल में हुआ, शिक्षा भी यहीं हुईं। मैं कानपुर का कैसे हो गया। संगठन जिसे उम्मीदवार बनाएगा सभी उसे जिताने के लिए कार्य करेंगे।
आलोक संजर, सांसद भोपाल
मैं इस विषय मेंं कुछ नहीं कहना चाहता। संगठन जो कार्य देगा वह स्वीकार करूंगा।
वीडी शर्मा, प्रदेश महामंत्री भाजपा