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मध्यप्रदेश पहला राज्य होगा, जहां छह बायोस्फीकर रिजर्व होंगे

- बायोस्फीयर रिजर्व बनने के बाद पेंच, कान्हा और बांधवगढ़ दुनिया में छाएंगे

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भोपाल@हितेश शर्मा
बांधवगढ़,पेंच और कान्हा नेशनल पार्क बाघों के लिए प्रसिद्ध हैं। जिन्हें अब बायोस्फीयर रिजर्व का दर्जा मिलेगा। बायोस्फीयर रिजर्व बनने के बाद ये पूरी दुनिया में पर्यटन के नक्शे पर जाने जाएंगे। देश में अभी 18 बायोस्फीयर रिजर्व हैं। वर्ष 2011 में बायोस्फीयर रिजर्व बने पन्ना नेशनल पार्क को 2020 में यूनेस्को वल्र्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में शामिल कर चुका है।

अब तीन नए नेशनल पार्कों को बायोस्फीयर रिजर्व का दर्जा मिलते ही मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य होगा, जहां छह बायोस्फीयर रिजर्व होंगे। एप्को ने पेंच और कान्हा के लिए बने ड्राफ्ट पर केंद्र सरकार की कमेटी ने प्रारंभिक सहमति दे दी है। अंतिम सहमति अप्रेल अंत तक मिल जाएगी। जल्द ही बांधवगढ़ का ड्राफ्ट भी केंद्र को भेजा जाएगा।

MP में अभी 3 बायोस्फीयर रिजर्व
यूनेस्को ने पहली बार 1971 में बायोस्फीयर रिजर्व बनाने की शुरुआत की थी। 201१ में पन्ना को सूची में शामिल किया था। इससे पहले 1999 में पचमढ़ी और 2005 में अचानकमार अमरकंटक नेशनल पार्क को बायोस्फीयर रिजर्व बनाया गया था। तीनों ही पार्क यूनेस्को की वल्र्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फीयर रिजर्व में भी शामिल हो चुके हैं।

सभी प्रजातियों को मिलेगा संरक्षण
अभी तीनों नेशनल पार्कों में बाघ संरक्षण पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है। बायोस्फीयर रिजर्व बनने से यहां पशु, पक्षी, पौधे, जड़ी-बूटियों और अन्य प्रजातियों को भी संरक्षण मिलेगा। इससे लिए केंद्र सरकार कार्ययोजना तैयार कर अलग से फंड मुहैया कराती है। इस सूची में शामिल होते ही एप्को इन्हें यूनेस्को की सूची में शामिल कराने के लिए भी प्रक्रिया शुरू कर देगा।

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ये है नेशनल पार्क की खासियत
पेंच: पौधों की 1500 से ज्यादा प्रजातियां हैं। 70 से ज्यादा औषधिए प्रजातियां भी हैं। यहां सर्प की 30, स्तनधारी की 38, उभयचारी की 7, पक्षियों की 242, मछलियों की 50 प्रजातियां हैं।
कान्हा: सर्प की 55, पक्षियों की 337, स्तनधारियों की 70 और मछलियों की 14 प्रजातियां मौजूद हैं।