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अफसरों की मेहरबानी- 1 रुपए में मिली 25 करोड़ की जमीन, स्टूडेंट के भविष्य के साथ खिलवाड़

महावीर मेडिकल कॉलेज पर मेडिकल काउंसलिंग की छापेमार कार्रवाई चल रही है। इस मेडिकल कॉलेज पर शुरू से अफसरों की मेहरबानी होने के कारण यहां का अस्पताल जमीन पर कम कागजों में अधिक चल रहा है.

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अफसरों की मेहरबानी- 1 रुपए में मिली 25 करोड़ की जमीन, स्टूडेंट के भविष्य के साथ खिलवाड़

अफसरों की मेहरबानी- 1 रुपए में मिली 25 करोड़ की जमीन, स्टूडेंट के भविष्य के साथ खिलवाड़

भोपाल. राजधानी भोपाल के गांधीनगर स्थित महावीर मेडिकल कॉलेज पर मेडिकल काउंसलिंग की छापेमार कार्रवाई चल रही है। इस मेडिकल कॉलेज पर शुरू से अफसरों की मेहरबानी होने के कारण यहां का अस्पताल जमीन पर कम कागजों में अधिक चल रहा है, हैरानी की बात तो यह है कि अफसरों की मेहरबानी के कारण कॉलेज को करीब 25 करोड़ की जमीन महज 1 रुपए में मिली थी। मेडिकल कॉलेज में चल रही छापेमार कार्रवाई में जल्द ही कोई बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने की संभावना नजर आ रही है। जिस प्रकार के मामले में कॉलेज में आए दिन सामने आ रहे हैं, उससे साफ नजर आ रहा है कि यहां स्टूडेंट के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।

1 रुपए में जमीन, 150 करोड़ की कुर्की के आदेश

आपको बतादें कि मेडिकल कॉलेज के ट्रस्ट में कई अफसर बैठे हैं, इसी कारण इन्हें सरकार से महज 1 रुपए में करोड़ों की जमीन मिल गई, यानी साफ कहें तो फ्री में ही शहर के पॉश इलाके में जमीन मिली है, वहीं कॉलेज के नाम पर बाजार से करीब 30 करोड़ रुपए का कर्जा ले रखा है, जिस पर ब्याज भी साल दर साल बढ़ता जा रहा है, लेकिन वह भी कॉलेज प्रबंधन द्वारा नहीं चुकाया जा रहा है। ऐसे में बाजार में भी कॉलेज की गुडविल खराब हो रही है।

कर्ज में यह डूबा कॉलेज
बैंकों से लिए गए कर्ज को समय पर नहीं चुकाने के कारण बैंक ने करीब 150 करोड़ की कुर्की के आदेश जारी कर दिए हैं, ऐसे में यह कॉलेज पूरी तरह कर्ज में डूबा है, लेकिन अफसरों की मेहरबानी के कारण यहां कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, यहां के ट्रस्ट में पीएमओ अनुराग जैन, डीजी पवन जैन, रिटायर्ड आईएस राजेश जैन आदि शामिल है।

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अस्पताल का नहीं सेटअप, किराये पर आते मरीज
इस कॉलेज द्वारा संचालित किए जा रहे अस्पताल में स्वयं का परमानेंट सेटअप भी नहीं है, इसी के साथ परमानेंट स्टॉफ भी नहीं है, यहां जरूरत के हिसाब से कुछ समय के लिए स्टॉफ रखा जाता है, जिसे जरूरत नहीं होने पर घर का रास्ता दिखा देते हैं, हैरानी की बात तो यह है कि यहां जब ऑडिट या निरीक्षण होता है, तो उस दौरान किराये पर कुछ लोगों को लाकर मरीज बना दिया जाता है, और जैसे ही ऑडिट या निरीक्षण खत्म हो जाता है, उन मजदूरों को 200-200 रुपए देकर चलता कर देते हैं, ऐसे मामले पहले भी सामने आ चुके हैं।