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मां के प्यार का दुनिया में नहीं है कोई मुकाबला

Manoj Muntashir Shukla- रवींद्र भवन में आयोजित राष्ट्रीय विमर्श कार्यक्रम में भारतीय ज्ञान का वैभव और वैश्विक योगदान विषय पर बात करते मनोज मुंतशिर को सुनने उमड़ी भीड़।

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भोपाल

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Manish Geete

Dec 20, 2022

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भोपाल। रवींद्र भवन में भारतीय ज्ञान परंपरा का वैश्विक योगदान विषय पर चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श कार्यक्रम में गीतकार मनोज मुंतशिर (manoj muntashir ) ने 'मैं हूं भारत' विषय पर संवाद किया। उन्होंने युवाओं से कहा कि मां के प्यार का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है। आपने आखिरी बार अपनी मां की तारीफ कब की थी। मैंने रिश्तों की तमाम किताबें पढ़ी है लेकिन मां जैसा कोई नहीं। प्रेग्नेंसी स्ट्रिप पर सिर्फ एक लकीर बनकर दिखा था, तब से मां हम पर जान देती है।

उन्होंने कहा कि मां को पागलखाने में भी बच्चों का नाम याद रहता है। हिसाब लगाकर देखें तो दुनिया के हर रिश्ते में मां का प्यार 9 महीने से ज्यादा ही निकलेगा। लेकिन हम सबने मां को टेकन फॉर ग्रांटेड लिया है। उन्होंने कहा कि मां भी कभी लड़की थी उन्हें भी तारीफ सुनना पंसद हैं। आज अपनी मां से जाकर कहिएगा मां तुम दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की हो।

ये हमारा दुर्भाग्य है कि अब परंपराओं पर प्रश्न चिन्ह उठाए जा रहे हैं

भारतीय धार्मिक ग्रंथों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि बाबा वाल्मीकि की रामायण को नासा भी नहीं ठुकरा सकता। हर चीज के पीछे सांइस हैं। मैं आज की युवा पीढ़ी से कहना चाहता हूं कि अगर अपना आइडियल ढूढ़ रहे हैं तो श्रीराम को अपनाइए। साइकॉलोजी पर लिखी हुई पहली पुस्तक गीता है। श्रीमद्भगवदगीता को धार्मिक ग्रंथ की तरह पढ़ने की बजाय लाइफ स्किल बुक की तरह पढ़े, ये जीवन जीना सिखाती है। हमारे फौजियों ने देशप्रेम बाबा वाल्मिकी की रामायण और श्रीमदभगवदगीता से सीखा है।

फिल्म में कपड़ों का चुनाव सोच-समझकर करना होगा

देश में पठान फिल्म पर चल रही कंट्रोवर्सी पर पत्रिका से बातचीत में मनोज मुंतशिर शुक्ला ने बताया कि अगर फिल्म में कपड़ों का चुनाव सोच-समझकर करें तो बेहतर होगा। फिल्म निर्माता के पास कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग की पूरी एक टीम रहती है। ऐसे में आपके कपड़े अगर किसी एक विशेष चीज से मैच हो रहे हैं तो ये बड़ी चूक है। फिल्म मैकर्स को इसके लिए सावधानी बरतनी चाहिए। इसे मैं कंट्रोवर्सी नहीं जागरूकता बढ़ाना कहता हूं।

उन्होंने कहा कि इस देश की मिट्टी में ऐसे ऐसे शेरशांह पैदा किए जो भूले नहीं भूलाए जा सकते। सरदार भगत सिंह ने अंग्रेज सरकार को चिट्टी लिखकर कहा था कि मुझे फांसी न दी जाए क्योंकि फांसी अपराधियों को दी जाती है। मैं क्रांतिकारी हूं मुझे भरे चौराहे पर गोली से उड़ाया जाए। ये हैं भारत मां के लड़ाके। भगत सिंह ने अपनी मां से कहा था कि अगर मैं गुलाम भारत में शादी करूंगा तो मेरी दुल्हन सिर्फ मौत होगी। हमारे देश में जन्में लोगों के डीएनए में भारत मां के लिए प्यार है। इसके लिए भारतीयों को कोई क्रेश कोर्स नहीं करना पड़ता है। अंत में उन्होंने अपनी सैनिकों के लिए बहुचर्चित कविता सुनाई। कार्यक्रम के पहले सत्र में ब्रम्हांड फिल्म का प्रदर्शन हुआ। वैश्विक कला एवं संस्कृति पर भारतीय ज्ञान परंपरा का तत्व विषय पर विमर्श बिंदु का आयोजन। जबकि दास्तान-ए-राम का आयोजन फौजिया दास्तानगो ने किया।

बापूजी मेरे पास होते हैं तो डर नहीं लगता

मुंतशिर ने पिता के बारे में कहा कि जब-जब पिता की बात होती है तो उनका नाम इतिहास और फिल्मों में भी नजर नहीं आता। उनके बलिदान को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है। जब तक मेरे पिता मेरे साथ हैं मुझे घबराहट नहीं होती। मेरे बापूजी बूढ़े हैं लेकिन जब वो मेरे पास होते हैं तो मुझे डर नहीं लगता। क्योंकि मैं जानता हूं कि जब तक वो हैं मुझ पर कोई आंच नहीं आएगी।