मध्य प्रदेश के मुलताई तहसील के एक छोटे से गांव मीरापुर के आदिवासी शिक्षक परिवार में उइके का जन्म हुआ था। राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। सांसद उइके के अनुसार समाजसेवा करना मकसद था इसलिए गायत्री परिवार से जुड़ गए। जिलों में जागरूकता को लेकर काम किया। इसी दौरान आरएसएस से जुड़ गए।
इसलिए चर्चा में आए थे दुर्गादास
भाजपा ने 2019 में पहली बार लोकसभा प्रत्याशी बनाया था। आदिवासी नेता उइके राजनीति में उतरने से पहले सरकारी शिक्षक थे। 8 फरवरी 2018 को पुलिस मैदान पर हुए विराट हिन्दू सम्मेलन में सरसंघचालक मोहन भागवत के मंच का संचालन डीडी उइके ने किया था। वहीं वर्ष 2019 में पहली बाद सांसद बनने पर 17 जून 2019 को लोकसभा में शपथ संस्कृत में ली थी। सांसद उइके मूलत: मुलताई तहसील के अंतर्गत ग्राम मीरापुर के रहने वाले हैं। उइके के पिता सूरतलाल उइके शिक्षक थे। उइके का बचपन बासनेर खुर्द विजयग्राम भैंसदेही में गुजरा। प्रारंभिक शिक्षा चोहटा पोपटी कुनखेड़ी भीमपुर में हुई। एमए समाज शास्त्र से जेएच कॉलेज में की। बीएड खंडवा जिले से किया। डीडी 30 वर्ष तक शिक्षक रहे। डीडी का एक बेटा और दो बेटी हैं। पत्नी ममता उइके गृहिणी हैं। वर्ष 1984 से गायत्री परिवार और वर्ष 2000 से आरएसएस से जुड़े हुए हैं।
राजनीतिक सफर
- जन्म: 29 अक्टूबर 1963
- शिक्षा: एमए समाज शास्त्र से
- 1984: से गायत्री परिवार से जुड़े
- 2000: से आरएसएस से जुड़े हुए हैं।
- 2019: भाजपा ने उन्हें लोकसभा प्रत्याशी बनाया। तब कांग्रेस के रामू टेकाम को 3.60 लाख वोटों से हराया।
- 2024: रामू को रिकॉर्ड 3.79 लाख वोट से हराया।
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