
भोपाल। नामीबिया से तीन दिन पहले कूनो आए सभी आठ चीतों स्वस्थ्य हैं, उनमें तनाव भी नहीं दिख रहा है। डाइट के अनुसार दो दिनों तक इन्होंने भोजन भी लिया और पानी भी पी रहे हैं। चीतों को आने के बाद करीब 7-7 किलो तक मीट दिया जा चुका है। सोमवार को भोजन के लिए गैफ रख गया है, मंगलवार को चार-चार किलो मीट दिया जाएगा। कंट्रोल कमांड सेंटर से इनकी निगरानी की जा रही है, पार्क और कोरेंटाइन सेंटर में कैमरे लगाए गए हैं। पार्क के पास में ही अस्थाई कैंप कार्यालय और कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया गया है।
चीतों की निगरानी के लिए नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका के डाक्टरों की टीम मौके पर जाकर हर तीन से चार घंटे में उनकी निगरानी और कार्य व्यवहार का आकलन करते रहते हैं। इनके साथ पार्क के प्रशिक्षु मैदानी अमला भी रहता है। कोरेंटाइन सेंटर तक जाने आने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल का उपयोग किया जा रहा है। इन्हें वाहन से उतरने और बाड़े के पास जाने आने की मनाही रहती है। बाड़े के पास पार्क के सिर्फ तीन कर्मचारी ही जा रहे हैं, जो चीतों को खाना देते हैं। नामीबिया से प्रशिक्षण लेकर आए पार्क के कर्मचारी चीतों की कंट्रोल कमांड में लगी टीवी स्क्रीन से रेख रेख कर रहे हैं। और उनकी मानीटरिंग नामीबिया से चीतों के साथ आ रहे विशेषज्ञ डा. लारी मार्कर, विंसेंट, डा. एड्रिन करेंगे। ये तीनों अगले एक महीने कूनो पालपुर पार्क में ही रुकेंगे। यदि परिस्थितियां बिगड़ीं तो इन्हें और आगे तक रोका जा सकेगा।
दक्षिण अफ्रीका के चीतों की भी तैयारी शुरू
केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए संकेतों के अनुसार दक्षिण अफ्रीका से लाए जाने वाले चीतों की तैयारी कूनों में शुरू कर दी गई है। वहां से 12 चीते अगले माह तक आने की संभावना है। हालांकि अभी तक दोनों देशों के बीच में एमओयू नहीं हुआ है। इसके बाद भी यहां अभी से तैयारी शुरू कर दी गई है। अगले माह नामीबिया से आए चीतों को 100 स्वायर किमी के बाड़े में छोड़ दिया जाएगा। इसके साथ ही इन्ही बाड़ों में चीतल, सांभर, हिरण सहित अन्य साकाहारी वन्यजीव भी छोड़ा जाएगा, जिससे चीते प्राकृति रुप से ?शिकार कर सकें।
पार्क कर्मचारियों और अधिकारियों को ट्रेनिंग भी
नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका से आए डॉक्टर और विशेषज्ञों का दल पार्क के कर्मचारियों और अधिकारियों को चीते के व्यवहार, खान-पान और उसकी प्रकृति के संबंध में प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। इसके साथ उन्हें नियंत्रित करने और चीतों के हमले से बचने के दांव पेंच भी सिखा रहे हैं। विभाग के अफसरों का मनाना है कि चीतों का रख रखाव और रहवास विकास करना बाघों से आसान हैं, इसलिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
Published on:
19 Sept 2022 10:19 pm
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