शुरुआत दोनों प्रमुख दलों सियासी दलों के झंडावरदारों के क्षेत्र महाकौशल से होगी। ये मुख्यमंत्री कमलनाथ और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह का प्रभाव क्षेत्र है। इसी चरण में छिंदवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में वोट पड़ेंगे। इस सीट से मुख्यमंत्री कमलनाथ चुनाव मैदान में होंगे। आखिरी चरण में 19 मई को मालवा-निमाड़ की आठ सीटों पर मतदान होगा। इसमें लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की इंदौर सीट भी शामिल है।
मतगणना 23 मई को होगी। वर्तमान में 29 में से 26 सीटें भाजपा और तीन कांग्रेस के पास हैं। दोनों दलों के सामने बड़ी जीत के साथ ही भीषण गर्मी के बीच कार्यकर्ताओं को चुनाव मैदान में निकालने की भी चुनौती होगी।
तीसरा चरण : तोमर-सिंधिया की प्रतिष्ठा होगी दांव पर
भोपाल, यहां कांग्रेस 35 साल से हार रही है। भाजपा की इस मजबूत सीट ने इस बार भी कांग्रेस में खलबली मचा रखी है। यहां से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को उतारने की चर्चा है। उधर, भाजपा की ओर से वर्तमान सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा, वीडी शर्मा समेत कई दावेदार हैं। नरेंद्र सिंह तोमर भी यहां से लडऩे की इच्छा रखते हैं। हाल के विधानसभा चुनाव में इस सीट के समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस ने तीन सीटें जीतीं और पांच पर कड़ी टक्कर देकर अपना आधार बढ़ाया है।
12 मई: 8 सीट: मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, सागर, विदिशा, भोपाल व राजगढ़।
नामांकन: 16-23 अप्रेल तक। नामांकन वापसी: 26 अप्रेल
राजगढ़
राजगढ़ कांग्रेस का गढ़ है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह यहां से पांच बार सांसद रहे। इसमें से चार बार कांग्रेस और एक बार भाजपा के टिकट पर जीते थे। यहां से कांग्रेस के नारायण सिंह आमलावे को उतारा जा सकता है। भाजपा चौकाने वाला नाम ला सकती है।
विदिशा
विदिशा से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी चुनाव जीत चुके हैं। यहां से शिवराज सिंह चौहान पांच बार सांसद रहे। उन्होंने 2006 में मुख्यमंत्री बनने के बाद ये सीट सुषमा स्वराज को उपहार में दी। वे 2014 में दूसरी बार जीतीं और विदेश मंत्री बनीं। अब शिवराज और उनकी पत्नी साधना सिंह का नाम चर्चा में है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विदिशा मुख्यालय की सीट पर जीत दर्ज की है। छह सीटें हारने के बाद भी कांग्रेस ने 2014 में सुषमा की चार लाख से अधिक वोटों से हुई जीत के अंतर को एक लाख तक ला दिया है। यहां से कांग्रेस नया चेहरा उतार सकती है।
गुना
गुना, शिवपुरी और अशोकनगर जिले तक फैली इस सीट में अब तक 19 चुनाव हो चुके हंै। इनमें उपचुनाव भी शामिल हैं। यह सीट पांच बार ही सिंधिया परिवार से बाहर गई है। ज्योतिरादित्य सिंधिया चार बार से सांसद हैं। यहां से फिर उनके उतरने की संभावना है। हालांकि, ग्वालियर से लडऩे की चर्चा भी है। सिंधिया उत्तरप्रदेश के प्रभारी भी हैं। वहां चुनाव प्रचार अभियान के साथ खुद का क्षेत्र साधना होगा। हालांकि, उनकी पत्नी प्रियदर्शनी राजे यहां सक्रिय हैं। इस सीट पर भाजपा उम्मीदवार के संकट से जूझ रही है।