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सीएम मोहन यादव के बड़े भाई ने जीतू पटवारी को भेजा 10 करोड़ का मानहानि नोटिस…

MP News: मध्यप्रदेश की सियासत में एक नया विवाद सामने आ गया है। जहां सीएम डॉ मोहन यादव के बड़े भाई ने पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को मानहानि का नोटिस भेजा दिया है।

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jitu patwari got defamation notice

MP News: मध्यप्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से सियासी पारा चढ़ गया है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी को 10 करोड़ रुपए का मानहानि नोटिस भेजा गया है। यह मानहानि नोटिस जीतू पटवारी को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के बड़े भाई पर गंभीर आरोप लगाने पर भेजा गया है।

दरअसल, बीते दिन पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने उज्जैन के बड़नगर में आमसभा के दौरान सीएम डॉ मोहन यादव के बड़े भाई नारायण यादव पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि जिले में नारायण यादव टैक्स चल रहा है। व्यापारियों से नारायण टैक्स के नाम पर वसूली की जा रही है।

इस बयान के बाद से यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गया। जिसके लिए जीतू पटवारी को 10 करोड़ रुपए का मानहानि का नोटिस भेजा गया है। इस पर सीनियर एडवोकेट वीरेंद्र शर्मा ने कहा कि नारायण यादव कुश्ती संघ के पदाधिकारी होने के साथ-साथ समाजसेवी और स्टोन क्रेशर के व्यपारी है। उन पर लगे आरोपों के कारण उनकी छवि धूमिल हुई है। इसी कारण से जीतू पटवारी को नोटिस भेजा गया है।

सीएम के परिवार पर जीतू ने लगाए थे आरोप


पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सीएम डॉ मोहन यादव और उनकी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ उन्होंने सीधा व्यक्तिगत तौर पर सीएम डॉ मोहन यादव भाई पर सीधा निशाना साधा हो। जीतू पटवारी ने कहा कि था कि इंदौर में भी नारायण टैक्स की हवा आ रही है।

वहां एक दयालु बाबा है पहले उनका टैक्स लगता था। अब इन नारायण भैया ने खुद का नाम दयालु बाबा रख लिया है। मंच पर उपस्थित चेतन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि एक दयालु था।सके साथ हिस्ट्रीशीटर के नाम आते हैं और एक नारायण टैक्स वाले उज्जैन के दयालु है, जो जब तक मोहन भैया को कुर्सी से नहीं हटा लेंगे दम नहीं लेंगे।

जीतू पटवारी ने लगाए झूठे आरोप


एडवोकेट ने बताया कि नारायण यादव सीएम डॉ मोहन यादव के बड़े भाई होकर 70 वर्षीय समाजसेवी हैं। वह यादव महासभा के अध्यक्ष भी हैं। जीतू पटवारी ने उनके ऊपर झूठे आरोप लगाए हैं। इसलिए उन्हें 10 करोड़ रुपए का मानहानि का नोटिस भेजा गया है। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि आप यह जानते थे कि जो कृत्य आप कर रहे हैं वह भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 के अंतर्गत आता है जो की एक दंडनीय अपराध है।