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मप्र जल्द बनेगा धार्मिक टूरिज्म की पहचान, विश्वभर में होगा नाम

महाकाल के बाद प्रदेश के प्रमुख मंदिरों को दिया जाएगा भव्य स्वरूप। इनमें महाकाल के बाद दूसरा नंबर ओंकारेश्वर का है। इसके बाद सलकनपुर, दतिया, मैहर, चित्रकूट, शनिश्चरा जैसे स्थान भी विकास की इस कतार में शामिल हो गए हैं।

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भोपाल। प्रदेश की भाजपा सरकार महाकाल लोक के बाद अब प्रदेश के अन्य प्रमुख मंदिरों को भव्य रूप देने की तैयारी करने जा रही है। इसके लिए सरकार ने 3000 करोड़ से अधिक खर्च करने का मन बना लिया है। ताकि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिले। मंदिरों के भव्य स्वरूप के साथ ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं में भी इजाफा किया जाएगा। माना जा रहा है कि यह भाजपा का विधानसभा चुनाव से पहले मिशन 2023 है।

अब ओंकारेश्वर है फोकस
जानकारी के मुताबिक अब सरकार का फोकस ओंकारेश्वर पर है। कोशिश है कि अगस्त 2023 तक आदि शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया जाए। सरकार की यह तैयारी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी है, क्योंकि इससे चुनाव का एजेंडा भी तय हो जाएगा।

ये भी कतार में
ओंकारेश्वर के साथ ही बीच में सलकनपुर और कतार में दतिया, मैहर, चित्रकूट, शनिश्चरा जैसे स्थान भी शामिल हैं। इनका भी विस्तार और विकास किया जाएगा। पर्यटन विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की 'प्रसाद' योजना के तहत भी पैसा मिल रहा है। इन प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद देश में मप्र ऐसा केंद्र होगा, जो धार्मिक टूरिज्म के लिए भी दुनिया भर में जाना जाएगा। यह 8 से 10 दिन का होगा। सभी धर्मस्थलों की डीपीआर का काम भी शुरू किया जा चुका है।

यहां दूसरे चरण का काम होगा शुरू
उज्जैन में महाकाल परिसर को विकसित करने पर 850 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। पहले चरण का काम हो गया है। अब दूसरा चरण 2023 में पूरा होगा। इसमें महाराज परिसर का विकास, रुद्रसागर जीर्णोद्धार, पार्किंग व पर्यटन सूचना केंद्र, महाकाल द्वार एवं प्राचीन मार्ग का विकास किया जाएगा।

ओंकारेश्वर में लोकार्पण की तैयारी
यहां अलग-अलग चरण में 2141.85 करोड़ रुपए पूरे प्रोजेक्ट पर खर्च किए जाएंगे। धातुओं के मिश्रण से तैयार हो रही आदि शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा 198.25 करोड़ रुपए में बनेगी। इसे बनाने में सुपर स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया जा रहा है। इसकी विशेषता यह भी है कि यह 500 साल तक जैसी है वैसी ही रहेगी।

कहीं 30 तो, कहीं 25 करोड़ रुपए होंगे खर्च
माई के स्थान (पहाड़ी पर) के आसपास सुविधाओं के साथ पहुंच मार्ग और श्रद्धालुओं के लिए 30 करोड़ रुपए के काम किए जाएंगे। उधर दतिया में सिद्धपीठ पीतांबरा माई में अन्य सुविधाओं और कार्यों के लिए 25 करोड़ का प्रोजेक्ट तैयार किया गया है। केंद्र की प्रसाद योजना के तहत इसे सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। डीपीआर का काम शुरू किया जा चुका है। आने-जाने के साथ श्रद्धालुओं के रुकने के साधन बनेंगे।

स्वदेश और राम दर्शन की थीम पर संवरेगा चित्रकूट
राम वनपथ गमन के साथ पूरे चित्रकूट का विकास 100 करोड़ रुपए में किया जाएगा। यह स्वदेश और राम दर्शन की थीम पर बनेगा। श्रेष्ठ स्थान बनाने के लिए डीपीआर पर काम शुरू किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश के हिस्से का काफी काम हो गया है। सतना से इसका रास्ता है। चित्रकूट पहुंचने से पहले रास्ते में सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी।

शनिश्चरा होगा सबसे बड़ा शनि धाम
30 करोड़ रुपए खर्च कर शनिश्चरा को मप्र का सबसे बड़ा शनि धाम बनाने की तैयारी सरकार कर चुकी है। चूंकि यह प्राचीन मंदिर है, लिहाजा इसके मुख्य द्वार को भव्य बनाया जाएगा। ग्वालियर से 18 किमी दूर होने के कारण मंदिर के आसपास पहुंच मार्ग को बेहतर बनाया जाएगा।

केंद्र को भेजा 55 करोड़ का प्रस्ताव
अगस्त से पहले सलकनपुर का स्वरूप भी बदल जाएगा। यहां भी दो हिस्सों में काम पूरा होगा। राज्य सरकार ने 45 करोड़ रुपए से काम शुरू कर दिया है। अब केंद्र के पास 55 करोड़ रुपए का प्रस्ताव भेजा गया है। इससे होने वाले कार्यों की शुरुआत दूसरे चरण में होगी।