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नेशनल ​हेराल्ड मामला: अब मध्यप्रदेश सरकार की भी एंट्री

- एक माह में जांच कर रिपोर्ट सौंपेंगे वरिष्ठ अफसर - जमीन का लैंड यूज बदलने वालों पर भी होगी कार्रवाई- मंत्री भूपेंद्र सिंह का बड़ा एलान- नेशनल हेराल्ड: भोपाल में भी सील होगी प्रॉपर्टी

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भोपाल। 'नेशनल हेराल्ड' मामले में अब मध्यप्रदेश सरकार की भी एंट्री हो गई है। इसके तहत भोपाल में भी नेशनल हेराल्ड की संपत्ति को सील किया जाएगा। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने गुरुवार को इसकी जांच के आदेश अफसरों को दे दिए। वरिष्ठ आइएएस अफसर को एक महीने के भीतर जांच कर रिपोर्ट देनी होगी।

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर भोपाल में जमीन ली गई। बाद में इसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसी सभी संपत्तियों की जांच कराकर सील करेंगे। जिन अफसरों ने प्रॉपर्टी का लैंड यूज बदला है, उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। अब जांच में न्यायालय में इतने लंबे समय प्रकरण चलने के बावजूद ठोस कार्रवाई न होने को लेकर जवाबदेही तय करने के बिंदु भी जांच में शामिल रहेंगे।

मंत्री ने कहा कि भोपाल में जांच के आदेश दे दिए हैं। नेशनल हेराल्ड के दफ्तर के नाम पर ली जमीन पर मेगा मार्ट सहित कई कमर्शियल दफ्तर हैं। जैसे दिल्ली का मामला है, वहां प्रॉपर्टी सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अपने नाम पर करा ली, जबकि 3000 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के नाम पर वह जगह दी गई थी। ऐसा ही दूसरी जगहों पर भी किया गया।

भोपाल और इंदौर में जमीन
भोपाल में प्रेस कॉम्प्लेक्स में नेशनल हेराल्ड की जमीन बताई जाती है। इस पर विवाद छाया रहा है। अक्सर यह मामला उठा है। आरोप लगते रहे हैं कि यहां की जमीन को अखबार के नाम पर लेकर बाद में व्यावसायिक उपयोग के लिए बेच दिया गया। इंदौर में भी नेशनल हेराल्ड की जमीन है। वह जमीन भी अखबारों को दिए जाने वाले भूखंड में शामिल रही है, जिसे बाद में व्यावसायिक उपयोग में दे दिया गया। अभी दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी और राहुल गांधी नेशनल हेराल्ड के मामले में ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच का सामना कर रहे हैं।

ये होंगे जांच के मुख्य बिंदु
- आवंटित भूखंड के उपयोग में नियमों का उल्लंघन किसने किया।
- भूखंड बेचा नहीं जा सकता तो किसने बेचा और व्यावसायिक निर्माण कौन-कौन ने किया।
- न्यायालय में लंबे समय तक प्रकरण चलने और ठोस कार्रवाई के लिए कौन जिम्मेदार।
- भूखंड के तीन टुकड़े कर बेच दिया गया। ऐसा नहीं हो सकता था।

कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी नहीं छोड़ा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। इन लोगों ने फ्रीडम फाइटर्स के नाम पर ली गई जमीन अपने नाम कराई।
- भूपेंद्र सिंह, मंत्री नगरीय प्रशासन