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नींव: सरकारी स्कूल में पढ़े, पर आज हैं कामयाब अफसर, दूसरों के लिए प्रेरणा

मध्यप्रदेश में पत्रिका के 'नींव' अभियान को सभी ने सराहा, आज इस अभियान के तहत अफसर एक दिन सरकारी स्कूलों में क्लास लेने जाते हैं

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Anwar Khan

Jan 16, 2017

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भोपाल। कारण तमाम होंगे, लेकिन सच तो सिर्फ यह है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की नींव कमजोर हो चुकी है। कुछ लोगों की मजबूरी और गरीबी के कारण सरकारी स्कूलों में छात्र मौजूद हैं, लेकिन तनिक भी संपन्न परिवार अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना नहीं चाहते। जरा पीछे झांकिए। एक दौर था, जब सरकारी स्कूलों में पढ़ाई होती थी, हुनर निखारा जाता था। सरकारी स्कूलों से ककहरा सीखे तमाम लोग उच्च प्रशासनिक पदों पर पहुंचे। आज जरूरत है उसी दौर को लौटाने की है। स्कूलों की नींव फिर मजबूत करनी होगी। आइए पढ़ते हैं सरकारी स्कूलों में पढ़-लिखकर कामयाबी का मुकाम हासिल करने वाले अफसरों में चुनिंदा चेहरों की कहानी...। पत्रिका का नींव अभियान राष्ट्रीय स्तर पर सराहा जा रहा है।

खुद पढ़े, बेटे को भी सरकारी में पढ़ाया

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आज जब अफसर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं, वहीं स्कूल शिक्षा विभाग में आयुक्त व आईएएस अफसर नीरज दुबे अलग हैं। वे खुद सरकारी स्कूल में पढ़े ही, अपने बेटे को भी सरकारी स्कूल में पढ़ाया। दुबे ने बताया, कक्षा तीसरी से उन्होंने शुजालपुर के सरकारी स्कूल से पढ़ाई शुरू की थी। तब स्कूल में आज जैसी सुविधाएं नहीं थी। उन्होंने कहा, मैं अपना पुराना स्कूल देखने जाऊंगा। अब उस स्कूल की स्थिति बेहतर है। दुबे के मुताबिक सरकारी स्कूलों में आज भी प्रशिक्षित,योग्य शिक्षक मौजूद हैं। अब प्रयास है कि प्रदेश के सभी स्कूलों के अपने भवन हों, शिक्षकों की कमी दूर हो।

पहले बेहद अनुशासित थे स्कूल

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शि वनारायण रूपला वर्तमान में ग्वालियर में संभागायुक्त हैं। आगर मालवा के तोलकिया खेड़ी गांव के प्राइमरी स्कूल में ही पढ़े रूपला ने बताया, मेरे समय में शिक्षक बेहद अनुशासित थे। समय के पाबंद होने के साथ शिक्षक स्वयं प्रतिभाएं निखारने में अपना सब कुछ झोंकते थे। बच्चों को ऐसे तैयार किया जाता था कि प्रश्नों के उत्तर वे खुद तैयार कर ले जाते थे। वर्तमान समय दो बातें हैं, एक तो रूट लेबल पर गुणवत्ता का स्तर घट गया है, दूसरे अभिभावकों की रुचि भी सरकारी स्कूलों की ओर कम हुई है।

स्कूलों को केवी जैसा बनाने की जरूरत

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इंदौर कलेक्टर व वरिष्ठ आईएएस पी. नरहरि कक्षा पहली से 10वीं तक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में पढ़े। 11वीं-12वीं की पढ़ाई उन्होंने भी सरकारी स्कूल में की। वहां से पढ़ाई से जो नींव पड़ी, उसी की बदौलत वे आईएएस अफसर बन पाए। नरहरि के मुताबिक पहले के मुकाबले सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी मजबूत हो चुकी है। पढ़ाई का स्तर भी ऊपर उठा है। हालांकि इसके बाद भी हमें इसे और आगेे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों को केंद्रीय विद्यालय जैसा बनाने की जरूरत है। इसके लिए आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं

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