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नेताजी ने नहीं दिया ध्यान, पार्किंग पर कोई पुख्ता योजना नहीं

17 लाख से ज्यादा वाहन, स्मार्ट पार्किंग का सपना आठ साल में भी नहीं हो पाया पूरा

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नेताजी ने नहीं दिया ध्यान, पार्किंग पर कोई पुख्ता योजना नहीं

नेताजी ने नहीं दिया ध्यान, पार्किंग पर कोई पुख्ता योजना नहीं

भोपाल. राजधानी के 17 लाख से अधिक वाहनों के लिए बाजार- व्यावसायिक क्षेत्रों में पार्किंग का कोई स्थल विकसित नहीं हो पाया। आठ साल पहले शहरवासियों को स्मार्ट पार्किंग का सपना दिखाया गया था। दावा था एप से पार्किंग स्लॉट बुक होगा, लेकिनकुछ नहीं हुआ। स्थिति ये है कि खरीदारी के लिए न्यू मार्केट से लेकर दस नंबर और पुराने शहर के चौक से लेकर लखेरापुरा, हमीदिया रोड तक व्यवस्थित पार्किंग नहीं है। 100 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च कर बनाई मल्टीलेवल पार्किंग भी वाहन चालकों की बेहतर एप्रोच में नहीं होने से काम नहीं आ रही। रोजाना 60 हजार से अधिक वाहन बाजारों में एक दूसरे से उलझते नजर आते हैं।

पार्किंग वसूली का लाभ निजी माफिया ले गया
- 2016 से 2019 के बीच स्मार्ट पार्किंग के तहत निगम ने निजी एजेंसी से हर माह 25 लाख रुपए की वसूली करने का ठेका दिया। उम्मीद थी कि इससे निगम को सालाना तीन करोड़ रुपए मिलेंगे, लेकिन ठेका एजेंसी ने पूरी राशि हजम कर काम छोड़ दिया।
- 2019 से 2020 के बीच शहर के निजी पार्किंग ठेकेदारों ने अपने स्तर पर जमकर वसूली की। निगम के खाते में राशि नहीं आई।
- 2020 के बाद करीब दो साल कोरोना की वजह से पार्किंग बंद रही
- 2022 में निगम प्रशासन ने ऑटो मोबाइल एजेंसियों के माध्यम से वन टाइम पार्किंग शुल्क वसूली शुरू की, लेकिन मामला कोर्ट पहुंचा और स्टे मिल गया
- अब निगम फिर से निजी एजेंसियों के माध्यम से शुल्क वसूली शुरू करने जा रहा है।
55 पार्किंग बनानी थी, 20 ही बनीं
नगर निगम ने 2016 में शहर में स्मार्ट पार्किंग का वादा किया था। 55 पार्किंग को स्मार्ट पार्किंग के तौर पर विकसित करना था, लेकिन स्थिति ये है कि अभी 20 पार्किग स्थल ही हैं और यहां वाहनों को किसी तरह की स्मार्ट सुविधा नहीं दी गई है। शहर में एक समय में 40 हजार वाहनों को पार्किंग का स्थल जरूरी है।

ये चुनावी मुद्दा क्यों नहीं
भोपाल में पार्किंग एक बड़ी समस्या रहा है। आबादी के साथ वाहनों की संख्या बढ़ी। नए बाजार विकसित हुए, लेकिन पार्किंग स्थल बेहतर नहीं हुए। देशभर में स्मार्ट पार्किंग सफल है, लेकिन भोपाल में फेल गया। क्या कारण है? इसकी पड़ताल करना जरूरी है। पार्किंग को वसूली का जरिया समझने की बजाय लोगों की सुविधा के तौर पर देखना चाहिए। इसके अनुसार ही प्लान बनाएं तो बेहतर होगा। जनप्रतिनिधियों को इसमें आगे बढक़र लोगों की इस सुविधा को विकसित कराने की जरूरत है।
वीके चतुर्वेदी, रिटायर्ड राज्य प्रशासनिक अधिकारी, पूर्व अपर आयुक्त ननि