
लाइन..कैमरा...एक्शन एंड रोल...अगर आप सोच रहे हैं कि आज हम किसी फिल्म या उसकी शूटिंग के बारे में आपको बताने वाले हैं तो ऐसा नहीं है। दरअसल आज हम आपको बताने वाले हैं सूबे की 230 सीटों पर चल रही सियासी फिल्म की, जहां नेता जी इनदिनों युवाओं को रिझाने के लिए लाइट कैमरा और एक्शन के फेर में फंसे हैं। दरअसल हर हाथों में स्मार्टफोन और रिल्स की दिवानगी ने नेताजी को रिल्स और शार्ट फिल्म बनाने पर मजबूर कर दिया है। बता दें इस चुनावों में ऐसा पहली मर्तबा देखा जा रहा है जब नेताओं को रील्स बनाने का भंयकर चस्का लगा हुआ है। इसको लेकर बकायदा नेताजी लाइट, कैमरा और एक्शन बोलने वालों तक की टीम तैनात कर रखी है। जो बकायता सुबह के जनसंपर्क से लेकर मंदिर में मत्था टेकने और गाय के सिर में हाथ सहलाने तक का रिल्स बना रहे हैं।
ट्रेंडिंग गाने और भजन का सबसे ज्यादा क्रेज
बता दें नेताजी के रिल्स में कब कौन का गाना और धुन डाली जाएगी इसका बकायदा एक्सपर्ट की टीम चयन करती है। जैसे टिकट मिलते ही भारी भीड़ और ड्रोन शॉट के साथ गाना बजेगा 'आरंभ है प्रचंड', नेताजी यदि किसी धार्मिक कार्यक्रम या मंदिर जा रहे हैं तो भजन का वो हिस्सा लगाया जाएगा जो इनदिनों सबसे ज्यादा ट्रेंडिग है। कुलमिलाकर इसके चयन और वायरल के लिए टीम तैनात की गई है।
दिल्ली, हरियाणा की टीम सबसे ज्यादा डिमांड में
दरअसल यूं तो रिल्स बनाने वालों की लंबी चौड़ी फौज इनदिनों बाजार में घूम रही है। लेकिन चुनावी समर में सबसे ज्यादा डिमांड दिल्ली और हरियाणा की टीम की है। और इस काम को संभालने वाली टीम की उम्र में 30 साल तक के युवा ही शामिल है। जो रिल्स बनाने से लेकर वायरल तक का काम संभालते हैं। जिसका महीना 50 हजार से लेकर 1 लाख तक चार्ज किया जाता है। ड्रोन और कैमरे बढ़ाने पर ये चार्ज दोगुना तक जा सकता है।
क्योंकि सवाल 3 करोड़ वोटरों का है
दरअसल प्रदेश में युवा वोटरों का अपना एक अलग वर्चस्व है। क्योंकि इनकी तादाद तीन करोड़ से भी ज्यादा है। पहली बार मतदान करने वाले युवाओं की बात करें तो इनकी संख्या 22 लाख और 30 से 39 साल के युवाओं की संख्या 1 करोड़ 45 लाख है। ऐसे में युवाओं को साध कर चलना और उनके मुताबिक कैपेंनिंग करना नेताओं की मजबूरी भी है।
Published on:
31 Oct 2023 08:24 pm
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